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पीएम मोदी पांच दिनी विदेश यात्रा पर रोम पहुंचे, जी-20 शिखर सम्मेलन में भागीदारी करेंगे

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रोम, 29 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच दिवसीय विदेश यात्रा के पहले चरण में गुरुवार को इटली की राजधानी रोम पहुंच गए, जहां वह शुक्रवार से शुरू हो रहे 16वें जी-20 शिखर सम्मेलन में भागीदारी करेंगे।

इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने पीएम मोदी को दो दिवसीय शिखर सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। शिखर सम्मेलन में जी-20 सदस्य देशों, यूरोपीय संघ और अन्य आमंत्रित देशों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेंगे।

इटली यात्रा के पहले दिन पीएम मोदी आज यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद वह पियाजा गांधी के लिए रवाना होंगे, जहां राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। शाम को पीएम मोदी इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

यात्रा के दूसरे चरण में कॉप-26 सम्मेलन में भाग लेने ग्लास्गो जाएंगे

प्रधानमंत्री मोदी अपनी यात्रा के दूसरे चरण में जलवायु परिवर्तन पर विश्‍व के नेताओं के 26वें श्खिर सम्मेलन (सीओपी-26) में भाग लेने के लिए ग्लास्गो (स्कॉटलैंड) रवाना होंगे। उस सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटेन करेगा। वह एक और दो नवंबर को दुनियाभर के 120 राष्ट्राध्यक्षों के साथ कॉप-26 की ‘वर्ल्ड लीडर्स समिट’ में भाग लेंगे।

भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के व्यापक समाधान की आवश्‍यकता पर बल देगा

पीएम मोदी ने इटली और ब्रिटेन की यात्रा पर रवाना होने से पहले अपने बयान कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन के समान वितरण सहित जलवायु परिवर्तन संबंधित मुद्दों के व्यापक समाधान और हरित तथा समावेशी विकास के लिए स्थिर जीवन शैलियों की आवश्यकता पर बल देंगे।

उन्होंने कहा कि सीओपी-26 सम्मेलन के अवसर पर उन्हें भागीदार देशों, नव प्रवर्तकों और अंतर सरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों के साथ बातचीत का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि सम्मेलन से स्वच्छ विकास में और तेजी लाने की संभावनाओं का पता चलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति और संस्कृति के साथ सद्भाव में रहने की भारतीय परंपरा के अनुरूप, भारत स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वनीकरण और जैव-विविधता के विस्तार पर काम कर रहा है। भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा, पवन और सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है।

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