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पीएम मोदी और अमित शाह ने सौर मिशन आदित्य-L1 की सफल लॉन्चिंग पर दी बधाई

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नई दिल्ली, 2 सितम्बर। चंद्रमा पर चंद्रयान-2 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से शनिवार को देश के पहले सौर मिशन ‘आदित्य-L1’ का अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी।

हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे – पीएम मोदी

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-L1 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के लिए हमारे अथक वैज्ञानिक प्रयास जारी रहेंगे।’

 

हमारे वैज्ञानिकों ने बार-बार अपनी शक्ति और प्रतिभा को साबित किया है शाह

अमित शाह ने कहा, ‘हमारे वैज्ञानिकों ने बार-बार अपनी शक्ति और प्रतिभा को साबित किया है। भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-L1 के सफल प्रक्षेपण पर राष्ट्र को गर्व और प्रसन्नता है। इस अद्वितीय उपलब्धि के लिए इसरो टीम को साधुवाद। अमृत काल के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का पीएम नरेंद्र मोदी का सपना पूरा करने की दिशा में यह बड़ा कदम है।’

पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हुआ आदित्य-एल1 यान

इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा। इसरो के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से पूर्वाह्न 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ।

सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा आदित्य-एल1

इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है। यह वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा।

पिछले महीने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता प्राप्त कर भारत ऐसा कीर्तिमान रचने वाला दुनिया का पहला और अब तक का एकमात्र देश बन गया है। ‘आदित्य एल1’ सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच ‘लैग्रेंजियन’ बिंदु (या पार्किंग क्षेत्र) हैं, जहां पहुंचने पर कोई वस्तु वहीं रुक जाती है। लैग्रेंज बिंदुओं का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र-‘एस्से सुर ले प्रोब्लेम डेस ट्रोइस कॉर्प्स, 1772’ के लिए रखा गया है।

सूर्य मिशन को आदित्य-एल1नाम इसलिए दिया गया

लैग्रेंज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है। सूर्य मिशन को ‘आदित्य-एल1’ नाम इसलिए दिया गया है कि यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेंजियन बिंदु1 (एल1) क्षेत्र में रहकर अपने अध्ययन कार्य को अंजाम देगा।

वैज्ञानिक शुरू में यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में रखेंगे

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से रवाना हुए अंतरिक्ष यान को वैज्ञानिक शुरू में पृथ्वी की निचली कक्षा में रखेंगे और बाद में इसे अधिक दीर्घवृत्तकार किया जाएगा। अंतरिक्ष यान को फिर इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल कर ‘एल1’ बिंदु की ओर भेजा जाएगा, ताकि यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल सके और एल1 की ओर बढ़ सके।

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