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कोरोना की दूसरी लहर में प्लाज्मा थिरेपी से मरीजों का इलाज ज्यादा कारगर नहीं – आईसीएमआर सूत्र

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नई दिल्ली16 मई। कोरोना वायरस की पहली लहर में बहुत हद तक इलाज में मददगार साबित हुई प्लाज्मा थिरेपी इस महामारी की दूसरी लहर में ज्यादा प्रभावी नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो कोरोना मरीजों की गंभीरता या मौत की संभावना को कम करने में प्लाज्मा थिरेपी ज्यादा कारगर नहीं पाई जा रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सूत्रों की मानें तो प्लाज्मा थिरेपी को कोविड-19 की क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस से हटाए जाने की योजना पर विचार मंथन जारी है।

गौरतलब है कि आईसीएमआर की कोविड-19 टास्क फोर्स ने कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों को दी जाने वाली प्लाज्मा थिरेपी की समीक्षा करने के लिए बीते शुक्रवार को बैठक की थी। बैठक में ज्यादातर लोग इस पक्ष में थे कि कोविड-19 मरीजों के इलाजों से संबंधित क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस से प्लाज्मा थिरेपी को हटा दिया जाना चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक आईसीएमआर सदस्यों का कहना था कि कोविड-19 के वयस्क मरीजों के इलाज में प्लाज्मा थिरेपी प्रभावी नहीं दिख रही है। कई मामलों में इसका अनुचित रूप से इस्तेमाल भी किया जा रहा है। हालांकि आईसीएमआर की ओर से इसे हटाने को लेकर अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है। लेकिन रिपोर्टों में कहा गया है कि आईसीएमआर जल्द ही इस मामले में सलाह जारी करने वाली है।

वर्तमान में कोविड-19 क्लीनिकल मैनेजमेंट गाइडलाइंस के अनुसार कोरोना के लक्षणों की शुरुआत होने के हफ्तेभर के भीतर प्लाज्मा दिया जा सकता है। प्लाज्मा थिरेपी आईसीएमआर के क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का हिस्सा है। 17 नवंबर, 2020 को आईसीएमआर ने प्लाज्मा थिरेपी को लेकर कहा था कि प्लाज्मा थिरेपी वायरल संक्रमण के इलाज में पहले भी इस्तेमाल किया गया है। यह थिरेपी स्वाइन फ्लू, इबोला और सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) के इलाज के दौरान अतीत में भी मरीजों को दी गई है। हालांकि शरीर में इसका उपयोग ज्यादा नहीं करना होता।

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