वॉशिंगटन, 8 अक्टूबर। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अपनी जनता को किफायती दामों पर ऊर्जा उपलब्ध कराना भारत सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है और उसे जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदना जारी रखेगी। पुरी ने इसके साथ ही यह भी साफ किया कि किसी भी देश ने भारत को रूस से तेल खरीदने से न तो मना किया और न की खरीदारी रोकने को कहा।
क्लीन एनर्जी पर अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए अमेरिकी दौरे पर आए पुरी ने यहां भारतीय पत्रकारों के एक समूह से कहा, ‘भारत को जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदेगा क्योंकि इस तरह की चर्चा भारत की उपभोक्ता आबादी से नहीं की जा सकती।’
उल्लेखनीय है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था। इससे रूसी तेल के दाम गिर गए थे। ऐसी स्थिति में चीन और भारत ने कम दाम पर रूस से तेल की खरीदना जारी रखा। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल इंपोर्टर और कंज्यूमर देश है।
हरदीप पुरी ने इसके साथ ही भरोसा जताया कि भारत तेल निर्यातक देशों के संगठन OPEC और उसके सहयोगियों ‘ओपेक प्लस’ से तेल प्रोडक्सन में हर दिन 20 लाख बैरल की कटौती करने के फैसले के असर को कम करने में सक्षम होगा।
पुरी ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रेनहोम के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी की
पुरी ने अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रेनहोम के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी की। इसके बाद उन्होंने कहा, ‘अगर आप अपनी तेल नीति को लेकर साफ हैं, जिसका मतलब है कि आप ऊर्जा सुरक्षा और एनर्जी अफॉर्डेबिलिटी में भरोसा करते हैं तो आप जिन स्रोतों से एनर्जी खरीदना चाहते हैं, उसे खरीदेंगे।’
Participated in a very productive ministerial dialogue of US India Strategic Clean Energy Partnership #USISCEP with US Secretary of @ENERGY, Secretary Jennifer Granholm @SecGranholm in Washington today.@SandhuTaranjitS #CleanEnergy pic.twitter.com/ueIlCmBLTd
— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) October 7, 2022
भारत की तेल जरूरतों की 85 प्रतिशत सप्लाई आयात से होती है
गौरतलब है कि भारत की तेल जरूरतों की 85 प्रतिशत सप्लाई आयात से होती है। इसके साथ ही भारत तेल खरीद के अपने स्रोतों का दायरा बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है। भारत सरकार इस आधार पर रूस से तेल खरीद का बचाव करती रही है कि उसे वहां से तेल खरीदना होगा, जहां सबसे सस्ता है।
इसी क्रम में भारत सरकार ने अमेरिका के नेतृत्व वाले G7 ग्रुप की उस योजना में शामिल होने की कोई इच्छा नहीं जताई, जिसमें रूस के राजस्व को सीमित करने के मकसद से उससे खरीदे गए तेल के दाम की सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है।
भारत OPEC ग्रुप का सदस्य नहीं, लेकिन ओपेक के फैसलों का उस पर असर होता है
पुरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत OPEC ग्रुप का सदस्य नहीं है, लेकिन ओपेक के फैसलों का उस पर असर होता है। उन्होंने कहा कि ओपेक के सदस्य देशों को तेल उत्पादन पर फैसला करने का संप्रभु अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘मैंने परंपरागत रूप से हमेशा यह बात कही है कि वे कितने तेल का प्रोडक्शन करना चाहते हैं और बाजार में कितनी सप्लाई करना चाहते हैं, यह फैसला करने का उन्हें पूरा अधिकार है। लेकिन मैं हमेशा कहता हूं कि यह अपेक्षित और अनपेक्षित परिणामों के सिद्धांत पर निर्भर है।’