प्रयागराज, 17 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अयोध्या स्थित राम मंदिर में 22 जनवरी को प्रस्तावित श्रीराम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से रोकने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में दोनों नेताओं को समारोह में शामिल होने से रोकने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
गाजियाबाद के भोला दास नाम के व्यक्ति यह जनहित याचिका दायर की है। याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि इस वर्ष आम चुनाव होने तक और न्याय के हित में सभी शंकराचार्यों की सहमति मिलने तक प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की अनुमति न दी जाय।
राजनीतिक हित के लिए सनातन संस्कृति को नष्ट करने का भाजपा पर आरोप
इस जनहित याचिका में केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री और चारों शंकराचार्यों को प्रतिवादी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है और आगामी चुनाव में अपने राजनीतिक हित के लिए सनातन संस्कृति को नष्ट कर रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के शामिल होने के खिलाफ हैं। इस जनहित याचिका का नोटिस राज्य सरकार के कार्यालय में दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर कब सुनवाई होगी।
धार्मिक आयोजनों के सरकारी निर्देश के खिलाफ भी याचिका दाखिल
एक अन्य कदम के तहत ‘ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन’, उत्तर प्रदेश ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के उस परिपत्र के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की है, जिसमें 14 से 22 जनवरी के बीच प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पूजा, कीर्तन और मानस पाठ एवं कलश यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन करने का निर्देश दिया गया है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नरोत्तम शुक्ल द्वारा दायर इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन धार्मिक आयोजनों के लिए राज्य सरकार के कोष से करीब 590 लाख रुपये जारी किए गए हैं। राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि यह संवैधानिक जनादेश के खिलाफ है।