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यूपी : सुरक्षा बंदिशों के कारण ताजमहल को कोसते रहते हैं 5 गांव के लोग, कुंवारों की नहीं हो पा रही शादी

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आगरा, 10 मई। उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल पूरी दुनिया में भले ही अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन प्रेम के प्रतीक इस स्मारक को इसके इर्दगिर्द बसे पांच गांव के लोग सुरक्षा बंदिशों के चलते उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में पैदा हुई दुश्वारियों के कारण इसे कोसने को मजबूर हैं।

ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाये जाने से ग्रामीणों की दुश्वारियां इस कदर बढ़ गई हैं कि इन गांवों में रहने वालों के घर पर ना तो रिश्तेदार आ पाते हैं, ना ही रिश्ते की बात करने वाले इन पांच गांवों तक पहुंच पाते हैं। नतीजा, इन गांवों के 40 प्रतिशत युवा कुंवारे रह गए हैं और उनके लिए शादी के रिश्ते भी नहीं आ पा रहे हैं।

5 गांवों का रास्ता ताजमहल के बगल से होकर गुजरता है

ताजमहल को कोसने के लिए अभिशप्त ये गांव हैं गढ़ी बंगस, नगला पैमा, तल्फ़ी नगला, अहमद बुखारी और नगला ढींग, जिनका रास्ता ताजमहल के बगल से गुजरता है। दरअसल इन गांव वालों की मुसीबत 1992 से बढ़ गई, जब उच्चतम न्यायालय ने ताजमहल को अपनी निगरानी में ले लिया और शीर्ष अदालत के आदेशानुसार ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था बेहद चाकचौबंद कर दी गई।

सुरक्षा की दृष्टि से इन गांवों की ओर जाने वाले व्यक्ति को प्रशासन से ‘पास’ लेने की आवश्यकता होती है। गांव के लोगों के ‘पास’ पहले से बने हुए हैं, लेकिन उनके रिश्तेदारों को गांव में आने के लिये हर बार नया पास बनवाना होता है।

‘चेक प्वॉइंट’ पर जांच पड़ताल के बाद रिश्तेदारों को गांव में प्रवेश मिलता है

आलम यह है कि ताहमहल से इन गांवों की ओर जाने वाले मार्ग पर बने ‘चेक प्वॉइंट’ पर जिसके घर पर रिश्तेदार आए हैं, उसको बुलाया जाता है। उसके बाद ही उन्हें गांव में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है। किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में इन गांव वालों के रिश्तेदार नहीं पहुंच पाते हैं। यही नहीं, शादी-विवाह जैसे पवित्र रिश्ते के कार्ड देने व युवाओं के रिश्ते के लिए भी यहां पर लोग नहीं पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से इन गांवों के 40 से 45 प्रतिशत युवा कुंवारे ही रह गए हैं।

सुबह और शाम थोड़ी देर के लिए बैटरी रिक्शा के परिचालन की अनुमति मिलती है

वर्ष 1992 में ताजमहल को उच्चतम न्यायालय ने अपनी निगरानी में लिया था। इसके बाद से इन गांव के लोगों को शहर जाने के लिए दशहरा घाट के निकट लगे नगला पैमा पुलिस चेक पोस्ट से होकर गुजरना पड़ता है, या फिर 10 किमी घूमकर धांधूपुरा होकर जाना पड़ता है। इन गांवों की ओर जाने वाले मार्ग पर प्रतिदिन सुबह और शाम थोड़ी देर के लिए बैटरी रिक्शा के परिचालन की अनुमति मिलती है।

इन गांवों का अगर कोई व्यक्ति बीमार होता है या फिर गर्भवती महिला को इलाज के लिये ले जाना होता है तो केवल यहां पर सरकारी एंबुलेंस ही पहुंच पाती है। इसके अलावा ताजमहल के रात्रि दर्शन वाले महीने के पांच दिनों में इन गांव वालों को सुरक्षा कारणों से घर में ही कैद रहना पड़ता है। घरों में कैद रहने की स्थिति गाहे ब गाहे तब भी पैदा होती रहती है, जब वीआईपी मेहमान ताजमहल का दीदार करने आते हैं।

‘काश! ये ताजमहल जैसी इमारत हमारे आस-पास नहीं होती’

बीते तीन दशक से ऐसे हालात से दो-चार हो रहे इन गांवों के लोग कोसते हुए यही कहने को मजबूर हैं कि ‘काश! ये ताजमहल जैसी इमारत हमारे आस-पास नहीं होती।’ अब स्थिति तो यह भी आ गई है कि इस समस्या से आजिज आ चुके इन गांवों के कुछ लोग पलायन भी करने लगे हैं।

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