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पश्चिम बंगाल : ममता बनर्जी की पुस्तक पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी से पुरस्कृत, आहत लेखिका ने की पुरस्कार लौटाने की घोषणा

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कोलकाता, 11 मई। पश्चिम बंगाल की सुप्रसिद्ध बांग्ला लेखिका रत्ना राशिद बनर्जी ने पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी द्वारा राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सम्मानित किए जाने का विरोध किया है।

लेखिका रत्ना ने पूछा – अकादमी ने किस आधार पर सीएम की किताब का चयन किया

दरअसल, पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी ने साहित्यक पुरस्कार के लिए सीएम की किताब को चुना है। इसके विरोध में रत्ना राशिद बनर्जी ने अकादमी की ओर से वर्ष 2019 में मिले अपने पुरस्कार को वापस करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने अपना पुरस्कार वापस करते हुए कहा, ‘मेरी समझ के बाहर है कि अकादमी ने किस आधार पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की किताब का चयन किया है।’

सीएम की किताब कबीता बिटानकिसी भी नजरिए से साहित्यिक रचना नहीं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अकादमी द्वारा सीएम की किताब को पुरस्कृत किए जाने को अपना अपमान मानते हुए रत्ना राशिद बनर्जी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री की किताब को कहीं से साहित्य कृति मानने के लिए तैयार नहीं हैं और यही कारण है कि वह अकादमी का पुस्तार लौटाकर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं।

रत्ना राशिद बनर्जी ने कहा, “मैं आकादमी द्वारा मुख्यमंत्री को साहित्यिक पुरस्कार देने के कदम से स्वयं को अपमानित महसूस कर रही हूं। मैं इस फैसले का कड़ा विरोध करती हूं और मैं इसे कतई स्वीकार नहीं करती। सीएम की किताब ‘कबीता बिटान’ किसी भी नजरिए से साहित्यिक रचना नहीं है।”

सीएम को पुरस्कार देने से अकादमी एक बुरी मिसाल कायम कर रही

बांग्ला लेखिका ने आगे कहा, ‘वह हमारी मुख्यमंत्री हैं। हमने उन्हें वोट दिया है। मैं लेखिका हूं और कलम की लेखनी को अच्छे से समझती हूं। मैं किसी राजनीतिक दल से नहीं हूं और न ही किसी लॉबी से हूं। सीएम को पुरस्कार देने से अकादमी एक बुरी मिसाल कायम कर रही है।’

मालूम हो कि बीते सोमवार को पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की किताब ‘अथक साहित्यिक खोज’ को पुरस्कृत किया। साहित्य अकादमी ने इसी वर्ष से शुरू किए गए नए पुरस्कार को ममता बनर्जी की पुस्तक ‘कबीता बिटान’ को दिया है। अकादमी की ओर से दिये जा रहे इस पुरस्कार के जरिये पश्चिम बंगाल के महान लेखकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।

नोबेल पुरस्कार विजेता महान साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती के अवसर पर राज्य के सूचना एवं संस्कृति विभाग ने यह पुरस्कार ममता बनर्जी की किताब को दिया। इस मौके पर राज्य के शिक्षा राज्य मंत्री और पश्चिम बंगाल बांग्ला अकादमी के अध्यक्ष ब्रत्य बसु भी मौजूद थे।

पुरस्कार वापसी के बाद राज्य सरकार पर हमलावर बंगाल भाजपा

वहीं लेखिका रत्ना राशिद बनर्जी द्वारा पुरस्कार वापसी के बाद बंगाल भाजपा इस मामले में ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर है। बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता शिशिर बाजोरिया ने कहा कि ममता बनर्जी को खुश करने के लिए तृणमूल ऐसे कदम उठाती रहती है।

शिशिर बाजोरिया ने कहा, ‘पश्चिमबंगा बांग्ला अकादमी का यह कदम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। निश्चित ही इस कदम से लेखक नाराज होंगे। ममता बनर्जी के मंत्री उन्हें ही पुरस्कार दे रहे हैं। रत्ना जी ने जो किया है वह उनके विरोध जताने का तरीका है। पुरस्कार देना, दरअसल तृणमूल की आंतरिक राजनीति है, यह तो दिखावा है कि कौन ममता बनर्जी को अधिक खुश कर सकता है।’

तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा – यह रत्ना राशिद कौन हैं

हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने लेखिका के पुरस्कार वापसी को भाजपा के साथ जोड़ते हुए कहा है कि पुरस्कार वापसी कोई मुद्दा नहीं है, यह तो भाजपा का भ्रष्ट तरीका है तृणमूल सरकार को बदनाम करने का। तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘यह रत्ना राशिद कौन हैं? मैंने सुना कि उन्हें अकादमी से पुरस्कार मिला है। कुछ लोग मौके की तलाश में रहते हैं कि कि उसका फायदा कैसे उठाया जाए और जहां तक भाजपा का सवाल है, तो ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़ने वाले इस मामले में तृणमूल को ज्ञान न दें तो बेहतर होगा।’

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