नई दिल्ली, 23 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट का वह आदेश बरकरार रखा, जिसमें ई. पलानीस्वामी को अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझगम (एआईएडीएमके) का अंतरिम महासचिव बने रहने की अनुमति दी गई थी। अब वह अन्नाद्रमुक के इकलौते, सर्वोच्च नेता होंगे। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने 12 जनवरी को मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था। पीठ ने ओ. पनीरसेल्वम द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘हमने हाई कोर्ट की खंडपीठ के दो सितम्बर, 2022 के आदेश को बरकरार रखा है और अपने पहले के अंतरिम आदेश को स्थायी कर दिया है। हमने पार्टी के समक्ष प्रस्तावों के मामलों पर सुनवाई नहीं की, जिस पर एकल पीठ सुनवाई कर रही है। हम उक्त प्रस्तावों को कानून के अनुसार निबटाए जाने के लिए छोड़ते हैं।’
यह फैसला अन्नाद्रमुक की 11 जनवरी,2022 को आम परिषद की बैठक के दौरान पार्टी के उपनियमों में किए गए संशोधन से जुड़ी याचिकाओं पर आया। इस बैठक में पलानीस्वामी को नेता चुना गया था जबकि उनके विरोधी ओ. पनीरसेल्वम तथा कुछ सहायकों को निष्कासित कर दिया गया था।
खंडपीठ ने जस्टिस जी. जयचंद्रन के 17 अगस्त के आदेश को रद कर दिया था, जिसमें 23 जून तक की यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया गया था, जब पनीरसेल्वम समन्वयक और पलानीस्वामी संयुक्त समन्वयक थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद चेन्नई में अन्नाद्रमुक के मुख्यालय में जश्न शुरू हो गया। अन्नाद्रमुक के मुख्यालय एमजीआर मालीगई में पुलिस बल की मौजूदगी के बीच पलानीस्वामी के समर्थकों ने पटाखे जलाए और पार्टी के अंतरिम महासचिव की तस्वीर पर दूध चढ़ाया।