इस्लामाबाद, 7 सितम्बर। पाकिस्तानी सेना ने 25 वर्षों में पहली बार सार्वजनिक रूप से भारत के खिलाफ 1999 के करगिल युद्ध में अपनी भूमिका स्वीकार की है। पाकिस्तान के डिफेंस डे के मौके पर रावलपिंडी में आयोजित एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने कहा कि 1965 व 1971 के बाद 1999 के करगिल युद्ध लड़ते हुए कई पाकिस्तानी सैनिकों ने अपनी जान गंवाई थी।
‘हजारों सैनिकों ने पाकिस्तान व इस्लाम के लिए अपना जीवन बलिदान किया‘
सेना प्रमुख ने जनरल मुनीर ने कहा, ‘चाहे वह 1948, 1965, 1971 या 1999 का कारगिल युद्ध हो, हजारों सैनिकों ने पाकिस्तान और इस्लाम के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है।’ उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी सेना ने कभी भी सार्वजनिक रूप से करगिल युद्ध में अपनी प्रत्यक्ष भूमिका स्वीकार नहीं की है। उसने हमेशा आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि यह ‘मुजाहिदीन’ का काम था।
करगिल में पाकिस्तान को मिली थी करारी हार
उल्लेखनीय है कि 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा था। भारतीय सैनिकों ने लद्दाख में लगभग तीन महीने की लंबी लड़ाई के बाद टाइगर हिल सहित करगिल सेक्टर में एलओसी के भारतीय हिस्से पर घुसपैठियों द्वारा कब्जा किए गए स्थानों को सफलतापूर्वक दोबारा अपने कब्जे में ले लिया था।
545 सैनिक हुए शहीद
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से करगिल सेक्टर से अपनी सेना के जवानों को वापस बुलाने के लिए कहा था। युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत की याद में ‘करगिल विजय दिवस’ मनाया जाता है। पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए भारत के कुल 545 सैनिक शहीद हुए थे।
पाकिस्तान ने शव लेने से कर दिया था इनकार
भारत ने हमेशा कहा है कि यह ऑपरेशन कश्मीर पर अपना दावा जताने के लिए पाकिस्तान की एक रणनीति थी। भारत के पास करगिल में पाकिस्तानी सेना की भूमिका को साबित करने के कई सबूत हैं, जिनमें युद्ध बंदी, उनकी वर्दी और हथियार शामिल हैं।
युद्ध के बाद भारतीय सेना ने कई मृत पाकिस्तानी सैनिकों को करगिल में दफनाया था। पाकिस्तानी सेना ने करगिल में मारे गए जवानों के शव तक लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि अधिकारियों ने युद्ध में मारे गए पाकिस्तानी अधिकारियों के शव गुप्त रूप से मांगे थे।