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भारत से तनाव कम करने को पाकिस्तान का डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध – ‘हम बड़े देश संग लड़ाई नहीं चाहते’

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इस्लामाबाद, 1 नवम्बर। पहलगाम हमले के बाद सीमा पर बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अनुरोध किया है कि वह कश्मीर में हुए घातक हमले के मद्देनजर पड़ोसी भारत के साथ बढ़ते तनाव को कम करने में मदद करें। इसके साथ ही पाकिस्तान का यह भी कहना है कि वह अपने से बड़े देश यानी कि भारत के साथ लड़ाई करना नहीं चाहता।

उल्लेखनीय है कि गत 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निरीह पर्यटकों की मौत हो गई थी जबकि 17 अन्य घायल हुए थे। इस हमले को पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा के मुखौटा आतंकी संगठन टीआरएफ ने अंजाम दिया था।

अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रिजवान सईद शेख ने अमेरिकी मैगजीन ‘न्यूजवीक’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘हमारे पास एक राष्ट्रपति है, जो इस प्रशासन के दौरान दुनिया में शांति के लिए एक स्पष्ट उद्देश्य के रूप में खड़ा है। एक शांतिदूत के रूप में विरासत स्थापित करना – या किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने युद्धों को समाप्त किया, युद्धों का विरोध किया और विवादों को सुलझाने में भूमिका निभाई। मुझे नहीं लगता कि कश्मीर के रूप में कोई उच्च या आकर्षक फ्लैशप्वॉइंट है, विशेष रूप से परमाणु शब्दों में। हम पड़ोस के एक या दो देशों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, जो परमाणु-सक्षम हैं। इसलिए, यह बहुत गंभीर है।’

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले भाषण में ट्रंप ने कहा था, ‘मेरी सबसे गौरवपूर्ण विरासत एक शांतिदूत और एकीकरणकर्ता की होगी।’ ट्रंप के चुनाव के बाद इजराइल और हमास के बीच युद्ध विराम हुआ था, जिसका अब उल्लंघन किया गया है, और वह यूक्रेन और रूस के साथ उनके युद्ध को रोकने के लिए भी बातचीत कर रहे हैं।

पाकिस्तानी राजदूत रिजवान सईद शेख ने हस्तक्षेप का किया आग्रह

शेख ने तर्क दिया कि ट्रंप प्रशासन को पाकिस्तान और भारत के बीच उत्पन्न हुए संकटों को कम करने के लिए पिछले अमेरिकी प्रयासों की तुलना में अधिक व्यापक और निरंतर पहल करने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि जिस खतरे का हम सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए, स्थिति को संबोधित करने का एक गुप्त अवसर है, न कि सिर्फ तत्काल डी-एस्केलेटरी उपायों पर ध्यान केंद्रित करना।”

पाकिस्तानी राजदूत ने कहा, ‘हम लड़ाई नहीं करना चाहते, खास तौर पर किसी बड़े देश के साथ। हम शांति चाहते हैं। यह हमारे आर्थिक एजेंडे के अनुकूल है। यह हमारी राष्ट्रीयता के अनुकूल है। यह हमारे हर उद्देश्य के अनुकूल है। लेकिन हम सम्मान के साथ शांति चाहते हैं।’

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