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पाकिस्तानी संसद ने कठोर कानून को दी मंजूरी – अब आदतन बलात्कारियों को बनाया जाएगा नपुंसक

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इस्लामाबाद, 18 नवंबर। पाकिस्तान की सरकार ने देश में बढ़ रही बलात्कार की घटनाओं को गंभीरता से लिया है और इसे रोकने के लिए संसद ने एक कड़े कानून को मंजूरी दे दी है। इस कानून के तहत दुष्कर्म के दोषियों को अब दवा देकर बधिया (नपुंसक) बनाया जाएगा। इस कानून का उद्देश्य बलात्कार की दोषसिद्धि में तेजी लाना और कड़ी सजा देना है।

ज्ञातव्य है कि हालिया वर्षों के दौरान पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं, जिसके चलते प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पर कड़े कानून लागू करने का दबाव बढ़ता जा रहा था।

नपुंसक बनाने वाले अध्यादेश को पिछले वर्ष ही दी गई थी मंजूरी

इमरान खान कैबिनेट ने पिछले वर्ष नवंबर में ही बलात्कार के दोषियों को नपुंसक बनाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी थी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर भी कर दिया था। पाकिस्तान के संविधान में भी भारत की तरह किसी भी अध्यादेश को एक निश्चित समय सीमा के अंदर संसद में पेश करना जरूरी है। इसलिए पाकिस्तान सरकार ने इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित करवाया है।

अब 4 महीने में पूरी होगी दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई

संसद से कानून पारित होने के बाद देशभर में विशेष अदालतों का गठन होगा और उसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित सुनवाई होगी। अदालतें चार महीने में सुनवाई पूरी कर लेंगी। पहली बार या बार-बार दुष्कर्म का अपराध करने वालों का बधिया किये जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसके लिए दोषी की सहमति भी लेनी होगी।

कानून में यह प्रावधान भी किया गया है कि दुष्कर्म रोधी प्रकोष्ठ घटना की रिपोर्ट होने के छह घंटे के भीतर पीड़िता की जांच कराएगा। अध्यादेश के तहत आरोपितों को दुष्कर्म पीड़िता से जिरह की अनुमति नहीं होगी। केवल न्यायाधीश और आरोपित की ओर से पेश वकील ही पीड़िता से सवाल-जवाब कर पाएंगे।

जांच में लापरवाही बरतने वालों को 3 वर्ष तक की सजा

यही नहीं वरन जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों और सरकारी अधिकारियों को तीन वर्ष तक जेल हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं की जाएगी और पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ काररवाई होगी। नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी की मदद से यौन उत्पीड़न के अपराधियों का डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा।

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