इस्लामाबाद, 29 सितम्बर। लगातार कंगाली की ओर बढ़ रहे पाकिस्तान ने प्रशासनिक खर्च कम करने की कोशिश में डेढ़ लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियों को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही छह मंत्रालयों को भी समाप्त करने का फैसला किया गया है और दो मंत्रालयों के विलय की घोषणा भी की गई है।
IMF के साथ कर्ज सौदे के तहत सुधारों के रूप में ये सारी कवायद
दरअसल, शहबाज शरीफ सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ सात अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज सौदे के तहत सुधारों के रूप में ये सारी कवायद की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने तीन दिन पहले गत 26 सितम्बर को ही इस सहायता पैकेज को मंजूरी दी थी। साथ ही खर्च में कटौती, टैक्स-जीडीपी अनुपात बढ़ाने, कृषि और रियल एस्टेट जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों पर टैक्स लगाने, सब्सिडी को सीमित करने और कुछ राजकोषीय जिम्मेदारियों को राज्यों को देने के लिए पाकिस्तान द्वारा प्रतिबद्ध होने के बाद पहली किस्त के रूप में एक अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक जारी किया।
दरअसल, अमेरिका से लौटने पर मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा कि IMF के साथ एक कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया है, जो पाकिस्तान के लिए अंतिम कार्यक्रम होगा। उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी नीतियों को लागू करने की जरूरत है ताकि यह साबित हो सके कि यह आखिरी कार्यक्रम होगा।’
मुहम्मद औरंगजेब ने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 में शामिल होने के लिए अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप दिया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि मंत्रालयों के भीतर बदलाव किया जा रहा है। इसके तहत छह मंत्रालयों को बंद करने का निर्णय लागू किया जाना है जबकि दो मंत्रालयों का विलय किया जाएगा। इसके अलावा, विभिन्न मंत्रालयों में 150,000 पद समाप्त किए जाएंगे।’
देश में टैक्सपेयर्स की कुल संख्या 16 लाख से बढ़कर 32 लाख
उन्होंने टैक्स रेवेन्यू बढ़ाने पर विस्तार से बात की और कहा कि पिछले साल लगभग 3,00,000 नए टैक्सपेयर्स थे और इस साल अब तक 7,32,000 नए टैक्सपेयर्स रजिस्टर्ड हुए हैं। इससे देश में टैक्सपेयर्स की कुल संख्या 16 लाख से बढ़कर 32 लाख हो गई है।
टैक्स का भुगतान नहीं करने वाले अब संपत्ति या वाहन नहीं खरीद पाएंगे
औरंगजेब ने यह भी कहा कि गैर-फाइलर कैटेगरी को खत्म कर दिया जाएगा और टैक्स का भुगतान नहीं करने वाले अब संपत्ति या वाहन नहीं खरीद पाएंगे। मंत्री ने दावा किया कि अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।