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PAFF ने ली जम्मू-कश्मीर के डीजी (जेल) की हत्या की जिम्मेदारी, कहा – गृह मंत्री को उनका छोटा सा तोहफा

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जम्मू, 4 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के महानिदेशक (कारागार) हेमंत लोहिया की हत्या की प्रारंभिक जांच में उनके घरेलू सहायक यासिर अहमद की भूमिका की ओर इशारा किया गया है। वहीं इस बीच जैशे मोहम्मद के बदले हुए स्वरूप आतंकी गुट पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने इस हत्या की जिम्मेदारी लेकर सनसनी फैला दी है।

PAFF ने हेमंत लोहिया की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि यह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए एक ‘छोटा उपहार’ था। गौरतलब है कि अमित शाह इस समय जम्मू-कश्मीर की अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। कश्मीर में सक्रिय इस आतंकी गुट ने जम्मू के उदयवाला में डीजी जेल की उनके दोस्त के घर में हत्या करने का दावा करते हुए कहा कि इस हमले को अंजाम देकर उन्होंने यह दिखा दिया है कि वे जब चाहें, जहां चाहें हमला कर सकते हैं।

पीएएफएफ के दावे पर जम्मू-कश्मीर पुलिस का कोई अधिकृत बयान नहीं

पीएएफएफ के प्रवक्ता तनीवर अहमद राथर ने इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। उसने लिखा कि जम्मू कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे पर आए गृह मंत्री अमित शाह को इतनी सख्त सुरक्षा के बावजूद यह छोटा सा तोहफा है। हालांकि पीएएफएफ ने डीजी जेल की हत्या करने का जो दावा किया है, उसके बारे में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया है।

 

 

जैश-ए-मोहम्मद का ही बदला हुआ रूप है पीएएफएफ

पीएएफएफ की बात करें तो यह पाकिस्तान बेस्ड आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का ही बदला हुआ रूप है। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से पीएएफएफ का नाम सामने आने लगा था। पीएएफएफ आतंकी समूह अंसार गजवत-उल-हिंद के मारे गए कमांडर जाकिर मूसा से प्रेरित है, जो वैश्विक आतंकी समूह अल कायदा के लिए वफादार माना जाता है।

1992 बैच के आईपीएस ऑफिसर थे लोहिया

1992 बैच के आईपीएस ऑफिसर 57 वर्षीय हेमंत कुमार लोहिया इसी वर्ष अगस्त में जम्मू कश्मीर के डीजी जेल बने थे। जहां उनकी हत्या हुई, वह घर उनके दोस्त राजीव खजुरिया का है। वह अपने परिवार व नौकर यासिर को भी अपने साथ ले गए थे। यासिर रामबन का रहने वाला है। एडीजीपी मुकेश सिंह ने बताया कि राजीव खजुरिया लोहिया के काफी करीबी दोस्त हैं। पूरा परिवार रात को उनके घर पर मौजूद था।

हेमंत लोहिया आतंकियों के लिए एक ऐसा नाम था, जिसे सुनकर वे कांप उठते थे

हेमंत लोहिया आतंकियों के लिए एक ऐसा नाम था, जिसे सुनकर टेरर टोली कांप उठती थीं। 90 के शुरुआती दौर में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था, तब से लेकर हेमंत लोहिया का तीन दशकों का करिअर बेहद शानदार रहा। उन्होंने लालचौक पर फिदायीन हमले के मिशन को नाकाम किया था। वहीं, बीएसएफ में रहकर देश के दुश्मनों के मंसूबे ध्वस्त करने का जिम्मा भी उन्होंने उठाया था। सूत्रों का कहना है कि वह जम्मू कश्मीर के नए डीजीपी की रेस मे सबसे आगे थे। इसलिए उनको एक साल पहले ही डेपुटेशन से वापस बुलाया गया। जांच का एक पहलू यह भी है।

इस बीच डीजी जेल की हत्या के बाद जम्मू-कश्मीर में हाई अलर्ट जारी करने के साथ ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ जुड़े हुए सहायकों व नौकरों की गहन छानबीन करने के निर्देश दिए गए हैं।

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