नई दिल्ली, 28 सितम्बर। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने साथ ही यह भी सवाल किया कि सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर इस प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है। अपराध करने वाले कुछ व्यक्तियों के कार्यों का मतलब यह नहीं है कि संगठन को ही प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
While I have always opposed PFI's approach and supported democratic approach, this ban on PFI cannot be supported 1/2
https://t.co/0FJBAYH5Ig— AIMIM (@aimim_national) September 28, 2022
किसी को दोषी ठहराने के लिए केवल किसी संगठन से जुड़ना पर्याप्त नहीं
केंद्र सरकार के पीएफआई पर लगाए प्रतिबंध को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि किसी को दोषी ठहराने के लिए केवल किसी संगठन से जुड़ना पर्याप्त नहीं है। लेकिन इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी मुसलमान पर प्रतिबंध है, जो अपने मन की बात कहना चाहता है।
ओवैसी ने कहा कि जिस तरह से भारत का चुनावी निरंकुशता फासीवाद के करीब पहुंच रहा है, भारत के काले कानून, यूएपीए के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पैम्फलेट के साथ गिरफ्तार किया जाएगा।
‘यूएपीए के तहत सभी कार्यों का हमेशा विरोध करूंगा‘
उन्होंने कहा, ‘अदालतों द्वारा बरी किए जाने से पहले मुसलमानों ने दशकों तक जेल में बिताया है। मैंने यूएपीए का विरोध किया है और यूएपीए के तहत सभी कार्यों का हमेशा विरोध करूंगा। यह स्वतंत्रता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जो संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।’
यूएपीए में संशोधन कर इसे कठोर बनाने को लेकर ओवैसी ने कांग्रेस पर भाजपा का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, याद रखना चाहिए कि कांग्रेस ने इसे सख्त बनाने के लिए यूएपीए में संशोधन किया और जब बीजेपी ने इसे और भी कठोर बनाने के लिए कानून में संशोधन किया तो कांग्रेस ने इसका समर्थन किया।
सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?
ओवैसी ने कहा कि यह मामला कप्पन की समय-सीमा का अनुसरण करेगा, जहां किसी भी कार्यकर्ता या पत्रकार को बेतरतीब ढंग से गिरफ्तार किया जाता है और जमानत पाने में भी दो वर्ष लगते हैं। पीएफआई पर प्रतिबंध कैसे लगा सकते हैं जबकि खाजा अजमेरी बम धमाकों के दोषियों से जुड़े संगठन पर प्रतिबंध नहीं हैं? सरकार ने दक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?