अहमदाबाद, 31 जनवरी। मोरबी ब्रिज हादसा मामले में ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर जयसुख पटेल ने मंगलवार को मोरबी में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। राजकोट पुलिस की ओर से जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने भी पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
9 आरोपित पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं
गुजरात पुलिस ने हाल ही में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप पत्र में ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल का नाम 10वें आरोपित के तौर पर शामिल किया गया है। नौ आरोपित पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि मोरबी में मच्छु नदी पर निर्मित ब्रिटिश काल का झूला पुल (स्प्रिंग पुल) पिछले वर्ष 30 अक्टूबर को टूट गया था। इस पुल के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड ओरेवा समूह के पास थी। बताया जाता है कि पुल मरम्मत के कुछ दिन बाद ही टूट गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हुई थी।
गुजरात पुलिस ने 1,262 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी
पुलिस ने इस मामले में मोरबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान की अदालत में गत 27 जनवरी को 1,262 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस उपाधीक्षक पीएस जाला के नेतृत्व में आरोप पत्र तैयार किया गया था। जाला मामले के जांच अधिकारी हैं।
ज्ञात रहे कि ओरेवा समूह के प्रमोटर जयसुख पटेल का नाम पुलिस ने प्राथमिकी में शुरुआत में दर्ज नहीं किया गया था। हालांकि पुलिस की चार्जशीट में उन्हें 10वां आरोपित बनाया गया है। आरोप पत्र में 300 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। हादसे के बाद पुलिस ने ओरेवा समूह के दो प्रबंधकों, दो टिकट कलर्क समेत नौ आरोपितों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक पटेल की ओर से अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई गई थी। इस याचिका पर पहली फरवरी को सुनवाई होनी थी।
ओरेवा समूह ने पीड़ितों को मुआवजा देने की पेशकश की थी
मामले का एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान ओरेवा समूह ने पीड़ितों को मुआवजा देने की पेशकश की थी। लेकिन, उच्च न्यायालय ने साफ कर दिया था कि मुआवजे की पेशकश करने से आरोपित किसी जवाबदेही से बच नहीं सकते। पटेल समेत सभी 10 आरोपितों पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 337 (उतावलापन या लापरवाही वाला कृत्य करके किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य) और 338 (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज हैं।