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राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष उतारेगा साझा प्रत्याशी, ममता बोलीं – नाम अभी तय नहीं, फिर से बैठक करेंगे

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नई दिल्ली, 15 जून। देश के ज्यादातर विपक्षी दलों ने अगले माह 18 जुलाई को प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ एक साझा प्रत्याशी उतारने पर सहमति जताई है। हालांकि उस संयुक्त उम्मीदवार का नाम अभी तय नहीं हुआ है और इसके लिए फिर बैठक होगी।

दरअसल, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में राजग के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें कम से कम 17 राजनीतिक दलों के नेता शरीक हुए।

ममता बनर्जी ने बैठक के बाद मीडिया से कहा, ‘विपक्षी नेताओं ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों में एक आम उम्मीदवार को मैदान में उतारने का संकल्प लिया है। आज की बैठक में कई पार्टियां थीं। तय किया है कि केवल आम सहमति वाले उम्मीदवार को चुनेंगे। हर कोई इस उम्मीदवार को हमारा समर्थन देगा। हम दूसरों से सलाह मशविरा करेंगे। यह एक अच्छी शुरुआत है। हम कई महीनों के बाद एक साथ बैठे और हम इसे फिर से करेंगे।’

शरद पवार के इनकार के बाद अन्य विकल्पों पर होगी चर्चा टीआर बालू

द्रमुक सांसद टी.आर. बालू ने कहा कि सभी दलों ने राकांपा प्रमुख शरद पवार से राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया, हालांकि, उन्होंने इनकार कर दिया है। नेताओं ने मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी और शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के संबंध में दलों से चर्चा करने का अनुरोध किया है।

कांग्रेस नेता सुधींद्र कुलकर्णी ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव में एक आम उम्मीदवार को मैदान में उतारने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया। एक उम्मीदवार जो वास्तव में संविधान के संरक्षक के रूप में काम कर सकता है और मोदी सरकार को भारतीय लोकतंत्र और भारत के सामाजिक ताने-बाने को और नुकसान पहुंचाने से रोक सकता है।

कांग्रेस, सपा, राकांपा, द्रमुक व राजद सहित 17 दलों के नेता बैठक में शरीक हुए।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिले के पहले दिन आहूत ममता बनर्जी की इस अहम बैठक में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दलों के नेता शरीक हुए।

भागीदारी करने वाले अन्य दलों में शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भाकपा-एमएल, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडपी), जद(से), आरएसपी, आईयूएएमएल, राष्ट्रीय लोकदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा भी शामिल थे।

राकांपा के शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला, जनता दल (सेक्युलर) के एचडी देवगौड़ा और एसडी कुमार स्वामी, सपा के अखिलेश यादव, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेकां के उमर अब्दुल्ला बैठक में शरीक हुए प्रमुख नेताओं में शामिल थे।

आप, टीआरएस, बीजद व शिअद बैठक से दूर रहे

हालांकि आम आदमी पार्टी (आप), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजू जनता दल (बीजद) व शिरोमणि अकाली दल (शिअद) सहित कुछ दल इससे दूर रहे। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को इस बैठक में बुलाया ही नहीं गया था।

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