मऊ, 8 सितम्बर। घोसी में विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत और भारतीय जनता पार्टी की हार होते ही एनडीए गठबंधन के सहयोगी और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर के तेवर नरम पड़ गए हैं। शुक्रवार को राजभर के चेहरे पर हार की मायूसी भी साफ दिखाई दी क्योंकि भाजपा गठबंधन की तरफ से इस उपचुनाव में सबसे ज्यादा सक्रिय ओपी राजभर ही नजर आ रहे थे। यहां तक कि उन्होने सीधे अखिलेश यादव पर भी हमले किए थे और यहां तक कह दिया था कि पिछली बार सपा को यहां की जीत सुभासपा के कारण मिली थी। इस बार सपा को हराकर अखिलेश को सैफई भेज देंगे।
भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान से 42,759 मतों से जीते सपा के सुधाकर सिंह
फिलहाल उपचुनाव की परिणाम की बात करें तो सपा के सुधाकर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों से हराया। सुधाकर सिंह ने 10 प्रत्याशियों के बीच कुल 33 दौर तक हुई मतगणना के बाद 1,24,427 मत हासिल किए वहीं दारा सिंह चौहान को 81,668 मत मिले। अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
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दरअसल, दारा सिंह चौहान पिछले चुनाव में इसी सीट से सपा के टिकट पर जीते थे। लेकिन कुछ माह पूर्व उन्होंने सपा छोड़ भाजपा ज्वॉइन कर ली थी। समझा जाता है घोसी की जनता दारा सिंह चौहान की पाला बदल राजनीति से नाराज चल रही थी, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में ही उनपर कुछ तत्वों ने स्याही भी फेंक दी थी।
खैर, परिणाम आने के बाद ओपी राजभर ने कहा कि घोसी की जनता ने जो रिजल्ट दिया है, उसका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि हार के कारणों का अध्ययन करने के बाद आगे की तैयारी करेंगे। 2024 की लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे।
निष्पक्ष चुनाव न होने का आरोप भी अब नहीं लगाया जाएगा।
हालांकि राजभर ने विपक्ष पर निशाना भी साधा और कहा कि विपक्ष जब हारता है तो ईवीएम पर दोष देता है। इस बार तय हो गया कि ईवीएम सही काम कर रहा है। निष्पक्ष चुनाव न होने का आरोप भी अब नहीं लगाया जाएगा। वहीं ओपी राजभर के बेटे अरुण राजभर ने कहा कि एक उपचुनाव हारने से कुछ नहीं होता है। आगे जब बड़ी लड़ाई होगी तो एनडीए गठबंधन जरूर जीतेगा।
वस्तुतः मऊ और घोसी में बड़ी संख्या में राजभर मतदाता हैं। ओपी राजभर लगातार दावा करते रहते थे कि ये मतदाता उनके कहने पर ही वोट डालते हैं। राजभर ने चुनाव के दौरान यह भी दावा किया था कि यह लड़ाई दारा सिंह चौहान की नहीं, ओपी राजभर की है। इसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। राजभर को मऊ में ही भारी झटका पहले भी लगा है। उनकी पार्टी में सबसे बड़ी टूट यहीं पर हुई थी।