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ऑनलाइन लर्निंग ऐप्स ने किया ये खतरनाक कांड: आपके बच्चे भी यूज करते हैं तो सावधान

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2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम्स तेजी से उभरे। तब से ही, ऑनलाइन लर्निंग ऐप छात्रों के अपने घरों में आराम से सीखने के महत्व की मार्केटिंग कर रहे हैं। महामारी को देखते हुए, दुनियाभर की सरकारों ने भी छात्रों को ऑफलाइन क्लासेस के बजाय पढ़ाई के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया।

लेकिन हाल ही में ऑनलाइन लर्निंग ऐप्स को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे जानकर आप भी चौंक जाएंगे। अगर आपके बच्चें भी किसी ऑनलाइन लर्निंग ऐप का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। ऐसा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई ऑनलाइन लर्निंग ऐप और प्रोग्राम बच्चों की सहमति के बिना उनका डेटा इकट्ठा करते पाए गए हैं।

– HRW ने 49 विभिन्न देशों में 150 से अधिक एडटेक प्रोडक्ट्स की जांच की और पाया कि 89 प्रतिशत एडटेक प्रोडक्ट्स ने बच्चों के डेटा की गुप्त रूप से या उनकी या माता-पिता की सहमति के बिना निगरानी की। इसके अलावा, 164 में से 146 एडटेक प्रोडक्ट्स को यंग यूजर्स की निगरानी के लिए ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग करने या उपयोग करने की क्षमता रखते हुए पाया गया।

– निगरानी या स्टोर किए गए डेटा को तब थर्ड-पार्टी कंपनियों को बेच दिया गया था। HRW ने खुलासा किया कि उपरोक्त 146 एडटेक ऐप सीधे यंग यूजर्स के डेटा को 196 थर्ड-पार्टी कंपनियों को भेज रहे थे। इसे विज्ञापन कंपनियों को भेजा जा रहा था।

HRW रिपोर्ट में कहा गया है “कोविड -19 में स्कूल बंद होने के दौरान ऑनलाइन लर्निंग ऐप्स के बड़े स्तर पर अपनाने की प्रक्रिया में, बच्चे अनजाने में अपनी पढ़ाई के लिए प्राइवेसी, इन्फॉर्मेंशन तक पहुंच और संभावित स्वतंत्रता के अधिकारों के साथ समझौता करने के लिए मजबूर थे।”

रिपोर्ट के अनुसार, ज़ूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स और सिस्को वीबेक्स जैसे ऐप बच्चों के लिए शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए नहीं बनाए गए थे। ये ऐप मूल रूप से निजी संगठनों के लिए मीटिंग्स और कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए बनाए गए थे।

हालांकि, तब इन ऐप्स का उपयोग बच्चों द्वारा पढ़ाई के लिए किया जाता था। हालांकि HRW ने सीधे डेटा इकट्ठा करने के लिए इन ऐप्स का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया है, लेकिन इससे पता चलता है कि लर्निंग ऐप जैसे एसटी मैथ अक्सर ऐसे ट्रैकर्स का इस्तेमाल करते हैं जो बच्चों के डेटा को गूगल और मेटा को व्यवहार संबंधी विज्ञापनों के लिए भेजते हैं।