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मलेशिया में कट्टर इस्‍लामिक पार्टी सत्ता से एक कदम दूर, लागू होगा शरिया कानून! जाकिर नाइक को दी है शरण

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कुआलालंपुर, 21 नवम्बर। दक्षिण एशियाई देश मलेशिया के आम चुनाव में त्रिशंकु संसद का गठन हुआ है। दशकों तक मलेशिया पर राज करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्‍मद को 53 वर्षों में पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। इसी क्रम में एक गठबंधन सरकार बनाने के लिए पहल तेज हो गई है।

मलेशिया में लंबे समय से विपक्ष के नेता अनवर इब्राहिम और पूर्व प्रधानमंत्री मुहयिद्दीन यासिन दोनों ने ही कहा है कि वे अन्‍य पार्टियों के समर्थन से एक सरकार बनाएंगे। मुहयिद्दीन के गठबंधन में शामिल एक इस्‍लामिक दल ने मलेशिया में कट्टर शरिया कानून लागू करने का वादा किया है। मुहयिद्दीन ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह किन दलों के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। हालांकि उन्‍होंने आशा जताई कि जल्‍द ही गठबंधन सरकार बनाने के लिए बातचीत पूरी हो जाएगी।

विश्‍लेषकों का कहना है कि अनवर की बहुजातीय पाकस्‍तान हरपन गठबंधन ने संसद के निचले सदन में 82 सीटें जीती हैं और उन्‍हें सरकार बनाने के लिए 112 सीटों की जरूरत है। वहीं मुहयिद्दीन के पेरिकटान नासीओनल गठबंधन के पास 73 सीटें हैं। प्रधानमंत्री इस्‍माइल साबरी याकोब की पार्टी को 30 सीटें मिली हैं।

प्रधानमंत्री इस्‍माइल साबरी की पार्टी के गढ़ में भी सेंध

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुहयिद्दीन का गठबंधन तीसरा बड़ा ब्‍लॉक बनकर उभरा है और उसने अपेक्षा से ज्‍यादा सीटें जीती हैं। कट्टर इस्‍लामिक पार्टी से मिलकर बने इस गठबंधन ने प्रधानमंत्री इस्‍माइल साबरी की पार्टी के गढ़ में भी सेंध लगाई है। साबरी की पार्टी ने चुनाव में बहुत ही खराब प्रदर्शन किया है।

विश्‍लेषकों का कहना है कि मलेशिया में एक गठबंधन सरकार बनने जा रही है जिसमें मुहयिद्दीन का ब्‍लॉक, इस्‍माइल साबरी की पार्टी और एक अन्‍य ग्रुप मिलकर सरकार बना सकते हैं। मुहयिद्दीन किसी भी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार हैं और उन्‍होंने रविवार को कहा कि वह क्षेत्रीय पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन बनाने पर चर्चा करेंगे।

वहीं अनवर इब्राहिम ने अब तक यह नहीं बताया है कि वह किसके साथ मिलकर काम करेंगे। पिछले महीने एक इंटरव्‍यू में इब्राहिम ने मुहयिद्दीन और इस्‍माइल के साथ यह कहकर गठबंधन करने से इंकार कर दिया था कि उन दोनों के साथ उनके मूलभूत मतभेद हैं। मुहयिद्दीन और इस्‍माइल दोनों ही मलय लोगों के हितों को प्राथमिकता देते हैं, वहीं अनवर बहुसांस्‍कृतिक प्रणाली के समर्थक हैं।

शरिया अदालतें मुस्लिम दोषियों के खिलाफ लगा सकेंगी भारी जुर्माना

मलेशिया में धर्म और नस्‍ल एक निर्णायक मुद्दा है, जहां ज्‍यादातर मुस्लिम मलय हैं। मलेशिया में चीनी और भारतीय मूल के लोग भी हैं, लेकिन वे अल्‍पसंख्‍यक हैं। मलेशिया के किंग अल सुल्‍तान अब्‍दुल्‍ला संभवत: अगले प्रधानमंत्री का चुनाव कर सकते हैं। हालांकि उनकी भूमिका केवल औपचारिक है। मार्च 2021 में मुहयिद्दीन की पेरिकतान नासीओनल सरकार ने शरिया अदालतों में बदलाव का प्रस्‍ताव दिया था। इससे शरिया अदालतें मुस्लिम दोषियों के खिलाफ भारी जुर्माना लगा सकेंगी। मुहयिद्दीन के गठबंधन ने देश में शरिया कानून को कड़ाई से लागू करने का वादा किया है। इससे मलेशिया के अल्‍पसंख्‍यकों को लेकर चिंता जताई जा रही है। मलेशिया ने ही भारत के भगोड़े इस्‍लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को शरण दी है।