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नागालैंड में एक बार फिर कोई विपक्ष नहीं, नगा मुद्दों के समाधान के लिए बनी सर्वदलीय सरकार

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कोहिमा, 10 फरवरी। नागालैंड एक बार फिर देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां की विधानसभा में अब कोई विपक्ष नहीं है। नगा मुद्दों के समाधान के क्रम में एक दिलचस्प घटनाक्रम के तहत बुधवार को नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) विधायक वाईएम योलो कोन्यक के कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करते ही राज्य में सर्वदलीय सरकार बन गई। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, उनके कैबिनेट सहयोगियों और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक अलायंस (यूडीए) के अध्यक्ष टीआर जेलियांग शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।

सभी दलों ने 5 माह पूर्व सर्वदलीय सरकार बनाने की घोषणा की थी

उल्लेखनीय है कि राज्य के सत्ताधारी दल और सभी विपक्षी दलों ने पांच महीने पहले साथ आकर भारत की पहली विपक्ष रहित सर्वदलीय सरकार बनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य नगा लोगों को केंद्र, नगा संगठनों और कई अन्य समूहों के बीच आगे ले जाना है।

एक समाधान, एक समझौता के तहत पीडीए सरकार में शामिल हुआ था एनपीएफ

नागालैंड में 25 विधायकों के साथ मुख्य विपक्षी पार्टी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने पिछले साल जुलाई में नेफ्यू रियो की अगुआई वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) सरकार में शामिल हो गई थी, जिसका उद्देश्य ‘एक समाधान, एक समझौता’ है।

पिछले वर्ष के पांच सूत्री प्रस्ताव में शामिल राजनीतिक दलों ने कहा था कि वे जल्द से जल्द राजनीतिक समाधान खोजने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ नगा शांति वार्ता को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखेंगे।

2015 में भी बन चुकी है सर्वदलीय सरकार

यह दूसरा अवसर है, जब पूर्वोत्तर राज्य में सर्वदलीय सरकार होगी। ऐसी पहली सरकार 2015 में देखी गई थी, जब विपक्षी कांग्रेस के आठ विधायकों का तत्कालीन सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट में विलय हो गया था। दूसरा मौका तब आया, जब पिछले साल सभी पार्टियां एक साथ आई थीं। हालांकि, पिछली दो बार के गठबंधन की सरकारों में अन्य दलों के सदस्यों को मंत्री नहीं बनाया गया था।

गौरतलब है कि नगा समूह एनएससीएन (आईएम) 1997 से केंद्र के साथ बातचीत कर रहा है और उसने 3 अगस्त, 2015 को फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

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