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H-1B वीजा को लेकर ट्रंप की मनमानी पर विदेश मंत्रालय ने कहा – ‘हम फैसले का अध्ययन करेंगे’

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नई दिल्ली, 20 सितम्बर। H-1B वीजा की फीस लगभग 10 गुना बढ़ाकर सालाना एक लाख डॉलर किए जाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का जवाब भी सामने आया है, जिसका कहना है कि अमेरिकी फैसले का अध्ययन करने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से अब अमेरिकी कम्पनियों को भारत से टैलेंट बुलाने के लिए 88 लाख रुपये सलाना सरकार को देना होगा। इसका मतलब साफ है कि ट्रंप अब भारतीय टैलेंट को अमेरिका आने से रोकना चाहते हैं। पहले 71 फीसदी टैलेंट को अमेरिका जाने का मौका मिल जाता था, लेकिन अब इस फैसले से मुश्किल खड़ी होने वाली है। हालांकि, आने वाले समय में भारत को बड़ा फायदा मिल सकता है।

हम भारत के टैलेंट के हित में हमेशा फैसला लेंगे

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शनिवार को कहा, ‘भारत सरकार ने अमेरिकी एच1बी वीजा कार्यक्रम पर प्रस्तावित प्रतिबंधों से संबंधित रिपोर्टें देखी हैं। अब हम फैसले का अध्ययन करेंगे। इसका असर दोनों देशों के उद्योगों पर देखा जा सकता है। हम भारत के टैलेंट के हित में हमेशा फैसला लेंगे।’

सरकार को उम्मीद – अमेरिकी अधिकारी इन व्यवधानों का उचित समाधान करेंगे

रणधीर जायसवाल के अनुसार सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इन व्यवधानों का उचित समाधान कर पाएंगे। भारतीय उद्योग ने भी एच1बी कार्यक्रम से संबंधित कुछ धारणाओं को स्पष्ट करते हुए एक प्रारंभिक विश्लेषण पहले ही प्रस्तुत कर दिया है।

पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार इसका मूल्यांकन करेगी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कुशल प्रतिभाओं की गतिशीलता और आदान-प्रदान ने संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसलिए, नीति निर्माता हाल के कदमों का मूल्यांकन पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच मजबूत जन-जन संबंध भी शामिल हैं। भारत और अमेरिका दोनों देशों के उद्योगों की नवप्रवर्तन और सृजनात्मकता में भागीदारी है और उनसे आगे बढ़ने के सर्वोत्तम मार्ग पर परामर्श की अपेक्षा की जा सकती है।

 

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