नई दिल्ली, 27 मई। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर अधीनम संतों से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। मदुरै अधीनम मंदिर के मुख्य महंत अधीनम हरिहरा दास स्वामीगल व अन्य अधीनम संतों से पीएम मोदी की मुलाकात के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं। इस दौरान अधीनम ने राजदंड ‘सेंगोल’ को पीएम मोदी को सौंप दिया।
पीएम मोदी रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान ‘सेंगोल’ को संसद में स्थापित करेंगे। तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
अधीनम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मैं आप सभी को प्रणाम करके नमस्कार करता हूं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि आप मेरे आवास पर आए हैं। यह भगवान शिव का आशीर्वाद है, जिसके कारण मुझे आप शिवभक्तों के दर्शन का अवसर मिल रहा है।”
‘सेंगोल को सिर्फ एक छड़ी समझा गया, लेकिन अब इसे उचित सम्मान मिल रहा’
पीएम मोदी ने कहा, “…अच्छा होता अगर आजादी के बाद पवित्र सेंगोल को उसका उचित सम्मान दिया जाता और एक सम्मानजनक स्थान दिया जाता। लेकिन इस सेंगोल को प्रयागराज के आनंद भवन में एक छड़ी के रूप में प्रदर्शन के लिए रखा गया था। आपके ‘सेवक’ और हमारी सरकार ने सेंगोल को आनंद भवन से बाहर निकाला है…”
उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि भारत की महान परंपरा के प्रतीक सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। यह सेंगोल हमें याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है और जनता के प्रति जवाबदेह रहना है।” उन्होंने कहा, “भारत जितना अखंड होगा, उतना ही मजबूत होगा। हमारे विकास के मार्ग में बाधा डालने वाले विभिन्न चुनौतियों का सामना करेंगे। जो लोग भारत की प्रगति को बर्दाश्त नहीं कर सकते वे हमारी एकता को तोड़ने का प्रयास करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि आपके संगठनों के लिए देश जो आध्यात्मिकता की ताकत प्राप्त कर रहा है, वह हमें सभी चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।”
पीएम मोदी ने कहा, ‘तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै अधीनम द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार कराया गया था। अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। इस पवित्र सेंगोल को अब तक छड़ी बताया गया था, लेकिन आज उसे उसका उचित सम्मान मिल रहा है।‘