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इन्फोसिस को लेकर पाञ्चजन्य के लेख पर पई बोले – कोई भारतीय कम्पनी राष्ट्र विरोधी नहीं हो सकती

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नई दिल्ली, 6 सितम्बर। देश की शीर्ष आईटी कम्पनियों में एक इन्फोसिस लिमिटेड के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) टीवी मोहनदास पई ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी पत्रिका पाञ्चजन्य में प्रकाशित एक विवादित लेख पर प्रहार करते हुए कहा है कि कोई भी भारतीय कम्पनी राष्ट्रविरोधी नहीं हो सकती और कारोबार के लिए इस तरह की राजनीतिक भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।

ज्ञातव्य है कि इन्फोसिस ने जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टल विकसित की है। लेकिन दोनों पोर्टलों में तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतें मिलती रही हैं। इन्हीं गड़बड़ियों के मद्देनजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कम्पनी के सीईओ सलिल पारीख को तलब भी किया था।

लेख में कम्पनी को ऊंची दुकान, फीका पकवान बताया गया था

इस बीच पाञ्चजन्य पत्रिका ने इन्फोसिस ‘साख और आघात’ शीर्षक और कम्पनी के संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर को साथ चार पेज की कवर स्टोरी प्रकाशित की। पत्रिका ने लेख में बेंगलुरु की कम्पनी को ऊंची दुकान, फीका पकवान बताया और उसे एंटी नेशनल फोर्स करार देते हुए आरोप लगाया था कि वह नक्सलवादियों, लेफ्टिस्ट और टुकड़े-टुकड़े गैंग से मिलकर काम करती है।

लेख में यह भी कहा गया था कि दोनों पोर्टलों में गड़बड़ियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के भरोसे को आघात पहुंच रहा है। पत्रिका ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इन्फोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रही है?

ऐसे मूर्खतापूर्ण बयानों की आलोचना करनी चाहिए

पद्मश्री अवार्डी और मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के वर्तमान अध्यक्ष मोहनदास पई ने एक वेब पोर्टल से बातचीत में कहा कि यह लेख कुछ सनकी विचारों वाले लोगों द्वारा लिखा गया है और इन्फोसिस हमेशा से ही देशहित में खड़ी रहने वाली कम्पनी है। उन्होंने कहा, ‘हमें एकजुट होकर ऐसे मूर्खतापूर्ण बयानों की आलोचना करनी चाहिए।’

पई ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग की ई-फाइलिंग पोर्टल अगर यूजर्स की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रही तो इसके लिए इन्फोसिस की आलोचना की जा सकती है, लेकिन इसे राष्ट्र विरोधी कहना और इसे किसी साजिश का हिस्सा बताना गलत है।

आरएसएस ने लेख से बनाई दूरी, कहा – पाञ्चजन्य हमारा मुखपत्र नहीं

फिलहाल आरएसएस ने पाञ्चजन्य में प्रकाशित इस आलेख से यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया है कि पत्रिका राष्ट्रीय स्वयं सेवक का मुखपत्र नहीं है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रभारी सुनील अंबेकर ने रविवार को एक ट्वीट में लिखा, ‘भारतीय कम्पनी के नाते इन्फोसिस का भारत की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान है। इन्फोसिस संचालित पोर्टल को लेकर कुछ मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन पाञ्चजन्य में इस संदर्भ में प्रकाशित लेख, लेखक के अपने व्यक्तिगत विचार हैं, तथा पाञ्चजन्य संघ का मुखपत्र नहीं है।’

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