वाराणसी, 5 नवम्बर। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर धार्मिक नगरी काशी में गंगा घाटों पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। अस्सी से राजघाट के साथ ही गंगा गोमती के संगम पर भी स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।
शाम को गंगा तट पर दीपों की अद्भुत शृंखला से घाट जगमगाएंगे
मंगलवार की शाम से ही गंगा के तट पर श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। बुधवार की सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ गंगा में पूर्णिमा का स्नान आरंभ हो गया। दोपहर तक स्नान का सिलसिला चलता रहेगा। गंगा घाटों पर बैरिकेडिंग भी की गई है। वहीं देव दीपावली के मौके पर शाम को गंगा के तट पर दीपों की अद्भुत शृंखला से घाट जगमगाएंगे।
काशी के अलावा अयोध्या, प्रयागराज, बनारस समेत अन्य शहरों-जिलों में श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में भोर से ही आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। हर जगह श्रद्धालुओं की सुरक्षा में जमीन से लेकर आसमान तक निगरानी की जा रही है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर मनु को प्रलय के समय वेदों की रक्षा करने और सृष्टि को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाया था।
अयोध्या : सरयू में स्नान को उमड़े श्रद्धालु
उधर रामनगरी अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा मेले के अंतिम चरण में ब्रह्म मुहूर्त से ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु सरयू नदी तट पर स्नान करने पहुंच गए थे। राम मंदिर में राम लला के दर्शन के चलते विगत वर्षों से कहीं अधिक संख्या में श्रद्धालु इस बार अयोध्या पहुंचे हैं। सरयू में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी कर रहे हैं। नागेश्वर नाथ, कनक भवन, हनुमान गढ़ी, रामजन्म भूमि मंदिर सहित प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है.
कार्तिक पूर्णिमा का एक माह बेहद पवित्र
महापौर व तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर सरयू नदी के पवित्र जल में स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। जगतगुरु रामदिनेशाचार्य ने बताया कि अयोध्या भगवान श्री राम की पावन जन्मस्थली के साथ ही विभिन्न धर्मों की साधना स्थली रही है। अयोध्या में स्थित विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर आस्था के केंद्र हैं। वर्ष पर्यंत यहां पर धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन होते रहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा का एक माह बेहद पवित्र है। आज के ही दिन कल्पवास का समापन होता है।

