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अनुच्छेद 370 पर यासीन मलिक की पत्नी मुशाल ने पाकिस्तान में कहा – भारत में चल रहा जंगलराज….

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इस्लामाबाद, 11 दिसम्बर। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसल के बाद पाकिस्तानी अंतिम पीएम अनवर उल हक काकर की विशेष सलाहकार मुशाल हुसैन मलिक ने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है।

मुशाल ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा है कि भारत में जंगल का कानून चल रहा है। वहां किसी कश्मीरी को इंसाफ की उम्मीद करना भी बेईमानी हो गया है। कश्मीरियों के खिलाफ भारत की सरकार, जज और तमाम एजेंसी एक साथ हो गई हैं।

भारत में उम्रकैद की सजा काट रहे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक की पत्नी मुशाल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण मामलों पर विशेष सलाहकार हैं। 2009 में यासीन मलिक से शादी करने वाली मुशाल पाकिस्तानी नागरिक हैं।

हिन्दुस्तान ने कश्मीरियों के लिए अपनी नफरत को फिर जग जाहिर कर दिया

मुशाल मलिक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आज एक बार फिर हिन्दुस्तान ने कश्मीरियों के लिए अपनी नफरत को जग जाहिर कर दिया है। भारत की सरकार हो, आर्मी हो या अदालतें हों, किसी से भी कश्मीर को इंसाफ नहीं मिला। जब 370 को इन लोगों ने खत्म किया तो वह पूरी तरह से गैर कानूनी तरीके से किया गया। ये ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ जाकर किया गया बल्कि खुद अपने 1950 में लागू किए गए संविधान को भी तार-तार करते हुए आर्टिकल 370 खत्म किया गया। इन्होंने दिखा दिया कि जंगल का कानून चल रहा है और किसी की ना मानते हुए हम फैसला दे सकते हैं।

दुनिया को अब जागने की जरूरत

मुशाल ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी कश्मीर में और नेतन्याहू गाजा में एक जैसा काम कर रहे हैं। दोनों के बीच एक कंपीटिशन चल रहा है कि कौन ज्यादा बेगुनाहों को मारता है। उन्होंने इसे भारत के अगले वर्ष होने वाले चुनाव से भी जोड़ा और कहा कि कश्मीरियों की खुलेआम टारगेट कीलिंग हो रही है। भाजपा और आरएसएस के इशारे पर कोर्ट फैसले दे रहे हैं। ऐसे में अब दुनिया को जागने की जरूरत है। आखिर दुनिया कब और कितने जुल्म के बाद जागेगी। अब वक्त आ गया है कि दुनिया कश्मीर की ओर देखे।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला बरकरार रखा है। बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था और यह एक अस्थायी प्रावधान था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को वैध मानता है।

 

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