श्रीनगर, 16 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को यहां जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (SKICC) में उमर अब्दुल्ली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके अलावा पांच नए मंत्रियों ने भी शपथ ली।
शपथ समारोह में राहुल व खरगे सहित I.N.D.I.A. ब्लॉक के कई नेता शामिल
शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव, वामपंथी नेता प्रकाश करात और डी राजा, डीएमके की कनिमोई और एनसीपी की सुप्रिया सुले सहित I.N.D.I.A. ब्लॉक के कई नेता शामिल हुए। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी मौजूद थीं।
आज नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi और कांग्रेस महासचिव श्रीमती @priyankagandhi जम्मू-कश्मीर सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए।
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— Congress (@INCIndia) October 16, 2024
अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में पहली निर्वाचित सरकार है जबकि मुख्यमंत्री के रूप में उमर अब्दुल्ला का यह दूसरा कार्यकाल है। इससे पहले उन्होंने 2009 से 2014 तक बतौर सीएम राज्य की सेवा की थी, जब जम्मू-कश्मीर एक पूर्ण राज्य था। अब्दुल्ला अपने दादा शेख अब्दुल्ला और अपने पिता फारूक अब्दुल्ला के बाद इस पद को संभालने वाले अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी भी हैं।
इन 5 मंत्रियों ने ली शपथ, सुरिंदर चौधरी डिप्टी सीएम
अब्दुल्ला के साथ शपथ लेने वाले पांच मंत्रियों में सकीना मसूद (इटू), जावेद डार, जावेद राणा, सुरिंदर चौधरी और सतीश शर्मा शामिल हैं। इटू और डार कश्मीर घाटी का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि राणा, चौधरी और सतीश शर्मा जम्मू क्षेत्र से आते हैं। उमर अब्दुल्ला ने हैरान कर देने वाले फैसले में नौशेरा से निर्वाचित और प्रदेश भाजपाध्यक्ष रविंदर रैना को हराने वाले सुरिंदर चौधरी को उप मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया है।
नवगठित सरकार का हिस्सा नहीं बनी कांग्रेस
गौरतलब है कि एनसी गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने राज्य का दर्जा बहाल न किए जाने पर असंतोष व्यक्त किया, जिसने पार्टी के निर्णय को प्रभावित किया। यह भी बताया जा रहा है कि कांग्रेस हाई कमान राज्य में पार्टी की परफॉर्मेंस से नाराज था, लिहाजा उसने सरकार में शामिल होने के बजाय संगठन को मजबूती प्रदान करने को वरीयता दी।