श्रीनगर, 18 मार्च। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्बुल्ला ने शुक्रवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि यह फिल्म सच्चाई से बहुत दूर है। फिल्म निर्माताओं ने मुस्लिमों और सिखों के बलिदान को नजरअंदाज किया है, जो आतंकवाद से पीड़ित थे।
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले की यात्रा पर पहुंचे पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने दमल हांजी पोरा में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक कमर्शल फिल्म थी, तो किसी को कोई समस्या नहीं है, लेकिन अगर फिल्म निर्माता दावा करते हैं कि यह वास्तविकता पर आधारित है तो तथ्य गलत हैं।
The pain & suffering of 1990 & after can not be undone. The way Kashmiri Pandits had their sense of security snatched from them & had to leave the valley is a stain on our culture of Kashmiriyat. We have to find ways to heal divides & not add to them. https://t.co/D5vzZ994Z8
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) March 18, 2022
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब कश्मीरी पंडितों के पलायन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, तब फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री नहीं थे। जगमोहन राज्यपाल थे। केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी, जिन्हें बाहर से भाजपा का समर्थन था।’ उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस तथ्य को फिल्म से दूर क्यों रखा गया।
मुसलमानों और सिखों का बलिदान नहीं भूलना चाहिए
उन्होंने कहा, ‘अगर कश्मीरी पंडित आतंकवाद के शिकार हुए हैं, तो हमें इसके लिए बेहद खेद है, लेकिन हमें उन मुसलमानों और सिखों के बलिदानों को नहीं भूलना चाहिए, जिन्हें एक ही बंदूक से निशाना बनाया गया था।’
फिल्म बनाने वाले नहीं चाहते कश्मीरी पंडितों की वापसी
जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा, ‘आज एक ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है, जहां हम उन सभी को वापस ला सकें, जिन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। न की सांप्रदायिक विभाजन पैदा किया जाना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि जिन लोगों ने यह फिल्म बनाई है, वे चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित वापस आएं। इस तस्वीर के जरिए वे चाहते हैं कि कश्मीरी पंडित हमेशा बाहर रहें।’
दुनियाभर में एक समुदाय को बदनाम करने की साजिश
अब्दुल्ला ने इससे पहले अपने संबोधन में कहा कि दुनियाभर में एक समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। 32 साल पहले जो हुआ, उससे एक आम कश्मीरी खुश नहीं है। आज, एक धारणा बनाई जा रही है कि सभी कश्मीरी सांप्रदायिक हैं, सभी कश्मीरी दूसरे धर्मों के लोगों को सहन नहीं करते हैं। क्या होगा इससे? क्या इससे उनकी वापसी की राह आसान हो जाएगी? उन्होंने कहा, ‘मुझे डर है कि आज कश्मीरी मुसलमानों के खिलाफ जो नफरत पैदा की जा रही है, भगवान न करे, राज्य के बाहर पढ़ने वाले हमारे बच्चे इसका खामियाजा न भुगतें।’