नई दिल्ली, 28 अगस्त। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा को पत्र लिखकर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों (डीपीएससी) के पुनर्गठन में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसका लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
ओ’ब्रायन ने नड्डा को 27 अगस्त को लिखे पत्र में कहा कि राज्यसभा सचिवालय के नौ जुलाई के अनुरोध के अनुसार विभिन्न दलों को मानसून सत्र शुरू होने से पहले 17 जुलाई तक अपने नामांकन सौंपने थे। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने 12 जुलाई को अपना नामांकन सौंप दिया था।
ओ’ब्रायन ने पत्र में लिखा, ‘‘जब हम राज्यसभा में मिले थे, तब भी मैंने इस मुद्दे को मौखिक रूप से उठाया था। आपने मुझे मौखिक आश्वासन दिया था कि मानसून सत्र की अवधि में ही समितियों का गठन कर दिया जाएगा। दुर्भाग्य से, अगस्त बीत जाने के बाद भी संसदीय समितियों का गठन नहीं किया गया है।’’
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता ने कहा, ‘‘इसका हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और बनाए गए कानूनों की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। मैं यह बताना चाहूंगा कि हालिया वर्षों में संसदीय स्थायी समितियों या प्रवर समितियों को गहन समीक्षा के लिए भेजे गए विधेयकों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।’’
राज्यसभा में 2014-24 के बीच पारित विधेयकों में से केवल 13 प्रतिशत ही संसदीय समितियों को भेजे गए, जबकि 17वीं लोकसभा (2019 से 2024 तक) में 16 प्रतिशत विधेयक स्थायी समितियों को भेजे गए। तृणमूल नेता ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य निर्वाचन आयुक्त विधेयक, 2023, कृषि विधेयकों और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2023 जैसे कानूनों को उचित समीक्षा के बिना पारित किए गए महत्वपूर्ण कानूनों के रूप में उद्धृत किया। ओ’ब्रायन ने यह भी कहा कि संसद के कार्य दिवसों की संख्या में कमी आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय सत्रों का समय सदन में चर्चा किए जाने वाले मामलों की बारीकियों को समझने और हितधारकों से परामर्श करने के लिए बहुत सीमित है। चूंकि डीपीएससी, महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करने के लिए सदस्यों को अधिक समय देती हैं, इसलिए सदस्य इनका जल्द से जल्द गठन चाहते हैं।’’
ओ’ब्रायन ने कहा, ‘‘मैं आपसे इस मामले के महत्व पर विचार करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि संसदीय प्रक्रिया का पालन किया जाए।’’ टीएमसी नेता ने कहा, ‘‘मैं डीपीएससी का तत्काल गठन किए जाने की आपसे उम्मीद करता हूं। बहुत कीमती समय पहले ही बर्बाद हो चुका है।’’ लोकसभा के अधीन 16 और राज्यसभा के अधीन आठ डीपीएससी हैं।