अहमदाबाद, 23 मार्च। वित्तीय वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही यानी दिसंबर, 2021 के अंत में गुजरात में बैंकों को नहीं चुकाए गए कर्ज की राशि या सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बढ़कर 42,786 करोड़ रुपये तक जा पहुंची है।
एसएलबीसी-गुजरात की ओर से जारी की गई रिपोर्ट
राज्य स्तरीय बैंकर समिति (एसएलबीसी-गुजरात) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार हालांकि बैंकों ने दावा किया कि एनपीए वित्त वर्ष 2021-22 में बैंक को मंजूर कुल क्रेडिट (सकल अग्रिम) का 5.92 प्रतिशत है। कुल मिलाकर दिसंबर, 2020 में मौजूद नहीं चुकाए गए कर्ज की तुलना में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एसएलबीसी-गुजरात की ओर से गांधीनगर में इस रिपोर्ट को जारी किए जाने के दौरान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे।
कॉरपोरेट कर्ज 24,910 करोड़ रुपये
रिपोर्ट के अनुसार फसल, कृषि सावधि और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम कर्ज (एमएसएमई) जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का 17,876 करोड़ रुपये का कर्ज एनपीए बना है जबकि कॉरपोरेट कर्ज सहित गैर प्राथमिकता वाले क्षेत्र का 24,910 करोड़ रुपये का कर्ज एनपीए बन गया।
दिसंबर, 2020 में गैर-प्राथमिकता वाले क्षेत्र में एनपीए 13,649 करोड़ रुपये था, जो अग्रिमों का 3.89 प्रतिशत है। एक वर्ष बाद दिसंबर, 2021 में इस क्षेत्र का एनपीए अग्रिम का 6.74 फीसदी था।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र में दिसंबर, 2021 के अंत में एमएसएमई का एनपीए में 9,749 करोड़ रुपये का योगदान है। राज्य के कृषि क्षेत्र में 6,538 करोड़ रुपये का एनपीए है। कुल बकाया के एक फीसदी से कम के आवास और शैक्षिक ऋण दिसंबर, 2021 के अंत में क्रमशः 1.37 फीसदी और 1.57 फीसदी हो गए हैं।
गुजरात में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यूको बैंक ने सबसे अधिक सकल एनपीए 34.05 फीसदी दर्ज किया, जबकि निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विकास बैंक में 46.07 फीसदी एनपीए था।
दिसंबर, 2021 की एसएलबीसी रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को ऋण देने में सालाना आधार पर 4.38 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले एक वर्ष के दौरान एमएसएमई को ऋण देने में 19.31 फीसदी की वृद्धि हुई है।