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अब अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पर निगाहें – सेना का सारा जोर दक्षिण कश्मीर पर रहेगा

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जम्मू, 3 मई। पहलगाम आतंकी हमले के बाद खुफिया अधिकारी लगातार इनपुट दे रहे हैं आतंकी अब दक्षिण कश्मीर को निशाना बना सकते हैं। ऐसे संकेत इस आधार पर कहा मिल रहे हैं कि तीन जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा दक्षिण कश्मीर में ही संपन्न होती है।

यही वजह है कि सेना भी अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को फुल प्रूफ बनाने के लिए पूरी तरह से मैदान में उतरने की तैयारी में है। उसका सारा जोर दक्षिण कश्मीर में होगा, जहां अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालु आएंगें और चिंता की बात यह है कि ताजा आतंकी हमलों, आतंकी गतिविधियों तथा पत्थरबाजों का गढ़ भी हमेशा दक्षिण कश्मीर ही रहा है।

तलाशी अभियान का लक्ष्य – ‘तलाश करो और मार डालो’

रक्षा सूत्रों ने मानना है कि तीन जुलाई से आरंभ होने जा रही अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए हजारों सैनिकों को दक्षिण कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में व्यापक तलाशी अभियान आरंभ करने की तैयारी करने को कहा गया है। इन अभियानों का लक्ष्य ‘तलाश करो और मार डालो’ ही होगा।

दरअसल, अब तक यही होता आया था कि सेना अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले आतंकियों को क्षेत्र से भगाने का अभियान छेड़ती थी, लेकिन अब रणनीति बदल दी गई है। रक्षा अधिकारियों की मानें तो दक्षिण कश्मीर समेत अन्य इलाकों में तेज होते आतंकी हमले आतंकियों की उस हताशा का परिणाम था, जो सेना के ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान से उनमें फैली हुई है।

पहलगाम नरसंहार के दोषी अब भी दक्षिण कश्मीर में ही छुपे हैं

खबरों के अनुसार अमरनाथ गुफा के रास्तों पर सेना के जवानों की तैनाती का कार्य विपरीत मौसम के बावजूद इस बार जल्दी ही आरंभ हो जाएगा और सेना तैनाती से पूर्व क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कर लेना चाहती है। पहलगाम नरसंहार के उपरांत यह खतरा इसलिए और बढ़ गया है क्योंकि कहा यह जा रहा है कि पहलगाम नरसंहार के दोषी अब भी दक्षिण कश्मीर में ही छुपे हुए हैं।

वैसे अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर सेना की तैनाती आधिकारिक तौर पर नहीं होगी। सेनाधिकारी कहते हैं कि उनके पास यात्रा के बाहरी इलाकों की सुरक्षा का भार हमेशा की तरह रहेगा। लेकिन सूत्रों के अनुसार, अन्य सुरक्षा बलों को इस बार भी खतरे को भांपते हुए सेना की कमान के तहत ही अमरनाथ यात्रा में कार्य करना होगा।

70 हजार से अधिक अर्ध सैनिक बलों को तैनात किया जाएगा

आधिकारिक तौर पर 70 हजार से अधिक अर्ध सैनिक बलों को अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के निमित्त तैनात किया जाएगा। इनमें सेना के जवानों की गिनती नहीं होगी और न ही प्रदेश पुलिस के जवानों की। सभी को यदि मिला लिया जाए तो अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या एक लाख से अधिक रहेगी। इनकी तैनाती लखनपुर के प्रवेश द्वार से लेकर अमरनाथ गुफा तक के रास्तों पर होगी।

लखनपुर प्रवेश द्वार से लेकर अमरनाथ गुफा तक एक लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी रहेंगे

इतने जवानों की तैनाती के बाद भी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर चिंता हमेशा प्रकट की जाती है, खासकर ताजा टारगेट किलिंग वाले हमलों के बाद। दरअसल पाकिस्तान और आतंकी बौखलाहट में हैं। एलओसी और सीमा पर घुसपैठ के प्रयासों को असफल किया जा रहा है और कश्मीर वादी में आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है।

ऐसे में आतंकियों पर उस पार से कुछ बड़ा करने का दबाव बना हुआ है जबकि डर यह है कि आतंकियों का साथ देने को एक बार फिर पत्थरबाजों की फौज भी उनके साथ हथियार उठा कर मैदान में आ सकती है, जिस कारण सुरक्षा बलों पर दोहरा भार आन पड़ा है। आशंका यह भी है कि पहलगाम नरसंहार जैसी घटनाओं की भी पुनरावृत्ति हो सकती है।

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