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अमेरिका के तीन अर्थशास्त्रियों को वर्ष 2021 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार

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स्टाकहोम, 11 अक्टूबर। अमेरिका के तीन अर्थशास्त्रियों को अनपेक्षित प्रयोगों, या तथाकथित प्राकृतिक प्रयोगों से निष्कर्ष निकालने पर काम करने के लिए सोमवार को इस वर्ष के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। इन अर्थशास्त्रियों में बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के कनाडाई-अमेरिकी डेविड कार्ड, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के इसराइली-अमेरिकी जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के डच-अमेरिकी गुइडो इम्बेंस शामिल हैं।

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक बयान में कहा है कि शोधकर्ताओं को श्रम बाजार में नई अंतरदृष्टि और प्राकृतिक अनुभवों के कारण और प्रभाव के बारे में क्‍या निष्‍कर्ष निकाले जा सकते हैं, यह दिखाने के लिए सम्‍मानित किया जा रहा है।

नोबेल कमेटी ने बयान में कहा, ‘तीनों अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक विज्ञान में अनुभवजन्य कार्य को पूरी तरह से बदल दिया है।’ आर्थिक विज्ञान समिति के अध्यक्ष पीटर फ्रेड्रिक्सन ने कहा, ‘समाज के लिए अहम सवालों के संबंध में कार्ड के अध्ययन और एंग्रिस्ट और इम्बेन्स के पद्धतिगत योगदान से पता चला है कि प्राकृतिक प्रयोग ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत हैं।’

ज्ञातव्य है कि अन्य नोबेल पुरस्कारों के विपरीत अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार इसका गठन करने वाले अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत में स्थापित नहीं किया गया था बल्कि स्वीडिश केंद्रीय बैंक द्वारा 1968 में उनकी स्मृति में इसकी शुरुआत की गई थी, जिसमें पहले विजेता को एक साल बाद चुना गया था। यह प्रत्येक वर्ष घोषित नोबेल का अंतिम पुरस्कार है।

नोबेल पुरस्‍कार की आधी राशि प्रोफेसर कार्ड को श्रम अर्थशास्‍त्र में उनके महत्‍वपूर्ण योगदान के लिए दी जाएगी। कार्ड का कार्य न्‍यूनतम वेतन, अप्रवास और शिक्षा के श्रम बाजार पर प्रभाव पर केंद्रित है। पुरस्‍कार की शेष आधी राशि प्रोफेसर एंग्रिस्‍ट और प्रोफेसर इम्बेंस को मिलेगी।

पिछले वर्ष अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के दो अर्थशास्त्रियों पॉल आर. मिल्ग्रोम और रॉबर्ट बी. विल्सन को मिला था, जिन्होंने नीलामी को अधिक कुशलता से संचालित करने की मुश्किल समस्या का समाधान प्रस्तुत किया था।

फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूस के दिमित्री मुरातोव को नोबेल शांति पुरस्कार

पिछले हफ्ते, 2021 का नोबेल शांति पुरस्कार फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा और रूस के दिमित्री मुरातोव को उन देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए उनकी लड़ाई के लिए दिया गया था, जहां पत्रकारों को लगातार हमलों, उत्पीड़न और यहां तक कि हत्या का सामना करना पड़ा है।

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