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कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों में गंभीर संक्रमण का कोई संकेत नहीं : डॉ. गुलेरिया

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नई दिल्‍ली, 24 मई। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोरोना महामारी की आशंकित तीसरी लहर से बच्चों में गंभीर संक्रमण पनपने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण कोरोना की तरह संचारी (कम्युनिकेबल) बीमारी नहीं है और यह एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता।

देश में कोरोना की अद्यतन स्थिति की जानकारी देने के लिए सोमवार को यहां आहूत केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में डॉ. गुलेरिया ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा।

मधुमेह पीड़ित लोगों को ब्लैक फंगस से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा

डॉ. गुलेरिया ने बताया कि देश में ब्‍लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लिहाजा, इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इस इंफेक्‍शन का ट्रीटमेंट जल्‍दी शुरू कर देने का फायदा है। हालांकि ब्लैक फंगस से संक्रमित व्यक्ति के पास बैठने से दूसरे को यह नहीं फैलता। हां, कोरोना की चपेट में आ चुके मधुमेह से पीड़ित लोगों को यह फंगल इंफेक्‍शन होने का ज्‍यादा खतरा है।

ब्लैक फंगस संक्रमण के प्रमुख लक्षण

सिर में दर्द, एक तरफ आंख में सूजन, नाक बंद होना, चेहरे का एक ओर सुन्‍न होना ब्लैक फंगस संक्रमण के कुछ प्रमुख लक्षण हैं। जिन लोगों को डायबिटीज है या जो लोग स्‍टेरॉयड ले रहे हैं, अगर उनमें ये लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्‍हें तुरंत चिकित्सीय परामर्श लेकर यथोचित जांच करानी चाहिए।

डॉ. गुलेरिया ने सलाह दी कि चिकित्सीय परामर्श के बगैर लोगों को स्‍टेरॉयड लेने से बचना चाहिए। जिन लोगों की इम्युनिटी कम होती है, उन्‍हें ब्‍लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) चपेट में लेता है। यह फेंफड़े, नाक, पाचन तंत्र में पाया जाता है।

अलग-अलग नामों से भी पैदा हो रही उलझन

एम्स निदेशक ने यह भी कहा कि कोरोना की चपेट आ चुके जिन लोगों को डॉयबिटीज नहीं थी और जिन लोगों ने स्‍टेरॉयड नहीं लिया है, उनमें म्यूकोरमाइकोसिस बहुत कम पाया गया है। फंगल इंफेक्‍शन कई तरह का होता है। कोविड के मामले में म्यूकोरमाइकोसिस देखा जा रहा है। रंग के आधार पर एक ही फंगस को अलग-अलग नाम (ब्लैक, ह्वाइट या येलो) देने से बचने की जरूरत है। इन्‍हें अलग-अलग कलर के नाम से बताने से उलझन हो सकती है। अभी जो फंगस चर्चा में है, वह म्यूकोरमाइकोसिस है।

लगातार 11वें दिन संक्रमण के नए केस की तुलना में ज्यादा लोग स्वस्थ

इस बीच प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में लगातार 11वें दिन कोरोना संक्रमण के नए मामलों की तुलना में ज्यादा लोग ठीक हुए। वहीं, संक्रमण दर घटकर 8.09 फीसदी हो गई है जबकि साप्ताहिक संक्रमण दर भी घटकर 12.66 फीसदी हो गई है। देश में गत 10 मई को शीर्ष पर पहुंचने के बाद उपचाराधीन मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।

पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 84,683 की कमी आने से अब कुल 27,20,716 एक्टिव केस हैं। संक्रमण के कुल मामलों के 10.17 फीसदी मरीज उपचाराधीन हैं। कुल 71.62 फीसदी उपचाराधीन मरीज कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और ओडिशा में हैं।

अब तक 19.60 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण

लव अग्रवाल ने बताया कि देश में अब तक 19.60 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। इनमे 45 वर्ष से ऊपर के 14.56 करोड़ लोग, 1.65 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और 2.33 करोड़ अग्रिम कोरोना योद्धा शामिल हैं जबकि 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के 1.06 करोड़ लोगों को टीके की पहली डोज दी जा चुकी है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से अब तक देश के भिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 21.80 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन दी जा चुकी हैं, जिन्होंने अभी 1.80 करोड़ से ज्यादा डोज का उपयोग नहीं किया है।

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