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दिल्ली आबकारी नीति केस : केजरीवाल को राहत नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत पर लगाई रोक

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नई दिल्ली, 25 जून। दिल्ली के कथित आबकारी नीति केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को फिलहाल राहत मिलती नजर नहीं आ रही है क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत से उन्हें मिली जमानत पर मंगलवार को रोक लगा दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में कई खामियां गिनाते हुए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर यह फैसला दिया। इसका मतलब है कि कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री को अभी जेल में ही रहना होगा। हालांकि आम आदमी पार्टी ने हाई कोर्ट के फैसले से असहमति जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।

इससे पहले हाई कोर्ट में जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाशकालीन बेंच ने ट्रायल कोर्ट अदालत के फैसले पर अंतरिम रोक लगाते हुए 21 जून को आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा था कि फैसला सुनाए जाने तक जमानत के आदेश पर अमल नहीं होगा। हाई कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए जमानत आदेश पर स्टे लगा दिया। अब इस मामले की सुनवाई नियमित बेंच करेगी।

हाई कोर्ट ने कहा – निचली अदालत के आदेश में खामी

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ईडी ने जो कहा है कि विशेष अदालत ने कहा है कि इतनी बड़ी फाइल (सभी दस्तावेजों) को पढ़ना मुश्किल है। राउज एवेन्यू कोर्ट की यह टिप्पणी सही नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि ईडी की दलीलें सुनी जानी चाहिए थीं, जोकि विशेष अदालत ने नहीं किया। हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पीएमएलए की धारा 45 पर विचार नहीं किया गया। यह निचली अदालत के आदेश में खामी है। इससे पहले ईडी ने कोर्ट में कहा था कि जज ने दस्तावेजों को देखे बिना और जांच एजेंसी को दलीलें पेश करने का पर्याप्त मौका दिए बिना केजरीवाल को जमानत दे दी।

ट्रॉयल कोर्ट ने 22 जून को दिल्ली के सीएम को दी थी जमानत

ट्रायल कोर्ट की स्पेशल जज न्याय बिंदु ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को रिहा करने का आदेश दिया था। देश न छोड़ने और गवाहों या सबूतों को प्रभावित न करने जैसी शर्तों के साथ अदालत ने केजरीवाल को राहत दी थी। 20 जून की रात आठ बजे आए फैसले के बाद शुक्रवार को केजरीवाल को रिहा होना था। इससे पहले कि वह जेल से बाहर आते, ईडी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर 26 जुन को सुनवाई की बात कही है

केजरीवाल ने अपनी जमानत पर अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस पर त्वरित सुनवाई या रोक हटाने से इनकार करते हुए मामले को 26 जून तक टाल दिया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा।

इसी वर्ष 21 मार्च को हुई थी केजरीवाल की गिरफ्तारी

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें 21 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी। पूर्व निर्धारत शर्त के तहत दो जून को सरेंडर करके केजरीवाल को दोबारा जेल जाना पड़ा। आरोप है कि दिल्ली के लिए 2021-22 में बनाई गई आबकारी नीति में शराब कारोबारियों को अवैध तरीके से फायदा पहुंचाकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने रिश्वत ली और इसका इस्तेमाल गोवा चुनाव में भी किया गया।

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