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कोरोना की दूसरी डोज में यदि अलग वैक्सीन भी लग जाए तो कोई दिक्कत नहीं : स्वास्थ्य मंत्रालय

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नई दिल्ली, 27 मई। देशव्यापी कोरोना संक्रमण के कम होते असर के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि कोरोनारोधी टीकाकरण अभियान के तहत दूसरी डोज में यदि अलग कम्पनी की वैक्सीन लग जाए तो भी कोई दिक्कत नहीं है, हालांकि केंद्र सरकार का स्पष्ट प्रोटोकाल है कि दी गईं दोनों डोज एक ही वैक्सीन की होनी चाहिए।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद कुमार पॉल ने गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही। दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक शख्स को गलती से दो अलग-अलग वैक्सीन लग जाने को लेकर उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रोटोकॉल स्पष्ट है कि दी गई दोनों डोज एक ही वैक्सीन की होनी चाहिए। वैसे, इस मामले की जांच होनी चाहिए। हालांकि अगर ऐसा हुआ भी है तो यह चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।’

अन्य कम्पनियों की वैक्सीन के बारे में डॉ. पॉल ने बताया, ‘सरकार विदेशी निर्माताओं के संपर्क में है। मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया हमारी प्राथमिकता है। फिलहाल कई वैक्सीन अभी पाइपलाइन में हैं।’

फाइजर कम्पनी की वैक्सीन के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘हम फाइजर के साथ जुड़े हुए हैं क्योंकि उन्होंने आने वाले महीनों में (संभवतः जुलाई में) वैक्सीन की एक निश्चित मात्रा की उपलब्धता का संकेत दिया है। उन्होंने सभी राष्ट्रों के प्रति दायित्व के पालन का अनुरोध किया है। हम उनके अनुरोध की पड़ताल कर रहे हैं। हालांकि अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है।’

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि कोरोना लहर के कमजोर पड़ने का संकेत इन्हीं आंकड़ों से मिल जाता है कि अब ठीक होने वाले मामलों की संख्या दैनिक आधार पर दर्ज किए जा रहे मामलों से अधिक हो रही है। रिकवर होने की दर 85.6% से बढ़कर अब 90% से ऊपर हो गई है, यह एक सकारात्मक संकेत है।

लव अग्रवाल ने कहा कि अब 24 राज्यों में एक्टिव केस घट रहे हैं। पहले 531 जिलों में रोजाना करीब सौ केस आते थे, लेकिन अब वहां पर नए संक्रमितों की संख्या में कमी आई है। पिछले 17 दिनों के दौरान सक्रिय मामलों की संख्या में 13 लाख की गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में पॉजिटिविटी दर भी घटकर 9.79% ही रह गई है।

कोरोना जांच को लेकर उन्होंने बताया कि टेस्टिंग दर कारगर तरीके से बढ़ाई जा रही है और यह संख्या अब रोजाना 21 लाख की तक पहुंच गई है। 15 मई के आसपास देशभर में 17 लाख टेस्टिंग रोजाना होती थी, जो अब बढ़कर लगभग 22 लाख हो गई है।

 

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