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कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगाने में विलम्ब हो तो घबराने की जरूरत नहीं : विशेषज्ञ

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नई दिल्ली, 13 मई। कोरोना महामारी से बचाव के क्रम में देश के कई हिस्सों में कोरोनारोधी टीके की कमी महसूस की जा रही है। ऐसे में आमजन के बीच यह सवाल उठने लगा है कि यदि टीके की दूसरी डोज लगने में विलम्ब हो जाए तो पहली डोज का असर क्या खत्म हो जाएगा? इससे इनकार करते हुए एक विशेषज्ञ ने कहा है कि दूसरी डोज लगने के बाद ही एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया पूरी होगी, इसलिए दूसरी डोज लगने में तनिक विलम्ब होने पर घबराने की जरूरत नहीं है।

गौरतलब है कि देश में कोरोनारोधी दो टीके-कोवैक्सीन और कोविशील्ड उपलब्ध हैं। सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार कोवैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद चार से छह हफ्ते के भीतर दूसरी डोज की मियाद तय की गई है जबकि कोविशील्ड के लिए यह समय सीमा छह से आठ हफ्ते के बीच निर्धारित की गई है।

दिल्ली चिकित्सा परिषद (डीएमसी) के अध्यक्ष डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि यदि वैक्सीन की कमी के बीच दूसरी डोज लेने में लोगों को परेशानी हो रही है तो इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने वैक्सीन की जो पहली डोज ली है, वह खराब हो जाएगी। इसकी वजह यह है कि पहली डोज शरीर के मेमरी सेल में मौजूद रहती है। ऐसे में 10-15 दिन विलम्ब से भी दूसरी डोज लेने पर कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि दूसरी डोज के बाद ही पूरी एंटीबॉडी बनती है।

डॉ. अरुण गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति को टीके की दोनों डोज एक ही वैक्सीन की लगवानी है, चाहे वह कोवैक्सीन हो अथवा कोविशील्ड। उन्होंने कहा कि दोनों वैक्सीन को अलग-अलग तरीके से बनाया गया है और अब तक कोई ऐसा अध्ययन या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि दोनों डोज अलग-अलग वैक्सीन की लगवाई जा सके। जिस वैक्सीन की डोज पहले ली गई है, वही दूसरी बार भी लेनी है।

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