पटना, 11 अगस्त। बिहार में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ एक बार फिर राजद की अगुवाई वाले महागठबंधन की सरकार बनाने वाले जदयू नेता नीतीश कुमार आगामी 24 अगस्त को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने बुधवार को आठवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बने हैं। हालांकि नीतीश और तेजस्वी के साथ अन्य मंत्रियों को शपथ नहीं दिलाई गई। नीतीश कुमार ने सिर्फ इतना ही कहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ जल्द ही विधानसभा सत्र आहूत किया जाएगा।
राज्यपाल को सौंपा जा चुका है 164 विधायकों के समर्थन का पत्र
फिलहाल आज तारीख तय हो गई और अब नीतीश के नेतृत्व में गठित नई सरकार का बहुमत परीक्षण 24 अगस्त को होगा। बीते मंगलवार को नीतीश ने जब तेजस्वी संग राजभवन जाकर राज्यपाल फागू चौहान से मिलकर सात दलों वाले महागठबंधन की नई सरकार बनाने का दावा पेश किया था तो उस वक्त उन्हें 164 विधायकों का समर्थन पत्र भी सौंपा था।
बिहार विधानसभा में सीटों के लिहाज से राजद सबसे बड़ी पार्टी
दिलचस्प यह है कि बिहार विधानसभा में सीटों के लिहाज से राजद सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में माना जा रहा है कि तेजस्वी के पास ही गृह विभाग की जिम्मेदारी रहेगी। इस बाबत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि आप लोग इसकी चिंता कर रहे हैं?
तेजस्वी बोले – देश के मौजूदा हालात को देखते हुए नीतीश जी ने इस्तीफा दिया
वहीं तेजस्वी यादव से जब पूछा गया कि अचानक से नीतीश कुमार का मन कैसे बदला तो उन्होंने कहा, ‘देश का जो माहौल है, हर तरफ सांप्रदायिक तनाव है और गंगा जमुनी तहजीब पर खतरा है। लोकतंत्र और संविधान पर खतरा है। देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। संवैधानिक संस्थाओं को तबाह किया जा रहा है। यह हम लोगों की ड्यूटी है कि किसी भी कीमत पर हम लोग समाजवादी लोगों का सहयोग करें। जब बिहार में यह सब घटनाक्रम हुआ तो नीतीश कुमार जी राज्यपाल को इस्तीफा सौंपकर आए। इसके बाद महागठबंधन में सब लोगों का उनके साथ जाने का मन बना।’
लालू यादव कभी नीतीश को ‘पलटूराम‘ और ‘केंचुली छोड़ने वाला सांप‘ तक कह चुक हैं
मजेदार तथ्य यह है कि वर्ष 2015 में राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार ने 2017 में महागठबंधन तोड़ दिया था और भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। नीतीश के उस फैसले पर बिहार में खूब तूफान मचा था और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने नीतीश के न सिर्फ ‘पलटूराम’ करार दिया था वरन उन्हें ‘केंचुली छोड़ने वाला सांप’ भी कह डाला था।
फिलहाल राजनीति धर्म में सभी पुरानी बातें भुला दी जाती हैं और राजनेता सदैव सुविधाजनक राह पर चलने को तत्पर रहते हैं। कुछ ऐसी ही राह नीतीश ने फिलहाल तेजस्वी के साथ मिलकर चुन ली है। इसी क्रम में सीएम की कुर्सी संभालने के पहले नीतीश ने लालू यादव से फोन पर बात भी की।