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नितिन गडकरी 2029 में अपनी भूमिका पर बोले – आपने जो देखा वह ‘न्यूज रील’, ‘असली फिल्म’ अभी बाकी

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नागपुर, 21 जून। केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 2029 के आम चुनाव में अपनी भूमिका के बारे में शनिवार को दावा किया कि पिछले 11 वर्षों में जो कुछ देखा गया, वह महज एक ‘न्यूज रील’ है और ‘असली फिल्म’ अभी आनी बाकी है। हालांकि, वरिष्ठ भाजपा नेता ने यह भी कहा कि पार्टी अपने पदाधिकारियों की जिम्मेदारी तय करती है और पार्टी उनके लिए जो भी जिम्मेदारी तय करेगी, वह उसी पद पर काम करेंगे।

पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे पूरा करूंगा

नितिन गडकरी ने नरेंद्र मोदी सरकार के 11 वर्ष पूरे होने पर उदय निरगुडकर को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘अब तक जो हुआ है, वो तो न्यूज रील थी, असली फिल्म शुरू होना और बाकी है। हालांकि कार्यकर्ता की जिम्मेदारियां और वह क्या काम करेगा, यह पार्टी तय करती है। मुझे जो भी जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं उसे पूरा करूंगा।’ गडकरी ने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने कभी अपना राजनीतिक बायोडेटा प्रकाशित नहीं किया है और न ही उन्होंने कभी समर्थकों से हवाईअड्डों पर उनके लिए भव्य स्वागत कार्यक्रम आयोजित करने को कहा है।

विदर्भ में किसानों की आत्महत्या रोकने की दिशा में काम करना निजी इच्छा

उन्होंने कहा कि उनकी व्यक्तिगत इच्छा विदर्भ में किसानों की आत्महत्या रोकने की दिशा में काम करना है। उन्होंने कहा, ‘आजकल मैं सड़क निर्माण के बजाय कृषि और अन्य सामाजिक पहलों पर अधिक काम करता हूं।’

विकास होने के बावजूद बढ़ती जनसंख्या के कारण परिणाम नहीं दिख रहा

यह पूछे जाने पर कि भारत की प्रति व्यक्ति आय विश्व में शीर्ष 10 में क्यों नहीं है, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके लिए देश की जनसंख्या जिम्मेदार है। जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह कोई धार्मिक या भाषाई मुद्दा नहीं है। यह एक आर्थिक मुद्दा है। इतना विकास होने के बावजूद परिणाम नहीं दिख रहे हैं। इसका कारण बढ़ती जनसंख्या है।’

उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) नेता सुधाकर बडगुजर के भाजपा में शामिल होने के बारे में पूछे गए सवाल को यह कहकर टाल दिया कि वह उन्हें नहीं जानते और उनसे कभी मिले भी नहीं हैं। इंटरव्यू के दौरान गडकरी ने 2014 से सत्ता में रह रही मोदी सरकार की विभिन्न उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के दूसरे कार्यकाल के गठन के समय से ही अंदरखाने नेतृत्व परिवर्तन किए जाने की बात कही जाती रही है। हालांकि अभी उसे कार्य रूप में बदला नहीं जा सका है। वहीं भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भी शीर्ष स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भाजपा के बीच लगातार मंथन जारी है, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।

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