नई दिल्ली, 8 फरवरी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्व घोषणानुसार संसद के बजट सत्र के दौरान गुरुवार को मोदी सरकार की तरफ से लोकसभा में ‘श्वेत पत्र’ पेश कर दिया। सरकार यह श्वेत पत्र यूपीए सरकार के दौरान कथित आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ लेकर आई है। इसके विरोध में कांग्रेस आज दोपहर ‘ब्लेक पेपर’ जारी कर चुकी है। अब शुक्रवार को मध्याह्न 12 बजे से ‘श्वेत पत्र’ पर चर्चा शुरू हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट भाषण के दौरान भी इस संबंध में घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार एक ‘श्वेत पत्र’ पेश करेगी, जो यूपीए दशक और एनडीए दशक को कवर करेगा। इसमें यूपीए शासन के वित्तीय कुप्रबंधन और एनडीए शासन की वित्तीय समझदारी को दिखाने के लिए एक तुलनात्मक विश्लेषण होगा।
मोदी सरकार इसलिए लेकर आई है ‘श्वेत पत्र‘
मोदी सरकार की ओर से पेश ‘श्वेत पत्र’ के जरिए सांसदों को बताया गया कि वर्ष 2014 से पहले (मोदी सरकार बनने से पहले) देश के सामने किस तरह के शासन, आर्थिक और राजकोषीय संकट थे। इसके अलावा सांसदों के माध्यम से जनता को ये बताया जाएगा कि आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए मोदी सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। इस श्वेत पत्र में यूपीए के कार्यकाल में हुए 15 घोटालों का जिक्र किया गया है। इसमें 2G स्कैम, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला आदि शामिल हैं।
‘श्वेत पत्र‘ में गिनाई गईं UPA सरकार की ये खामियां
- UPA सरकार ने देश की आर्थिक नींव कमजोर की।
- UPA काल में रुपये में भारी गिरावट हुई।
- बैंकिंग सेक्टर संकट में था।
- विदेशी मुद्रा भंडार में कमी हुई थी।
- भारी कर्ज लिया गया था।
- राजस्व का गलत इस्तेमाल हुआ।
सीतारमण ने ‘श्वेत पत्र‘ के इन प्रमुख बिन्दुओं का किया जिक्र
- मोदी सरकार ने तुरंत समाधान करने के बजाय साहसिक सुधार किए, जिसमें आधारभूत रचना को मजबूत के निर्माण पर ध्यान दिया।
- एनडीए सरकार ने राजनीतिक और नीति के तहत देश को स्थिरता प्रदान की है। यह तभी संभव हो पाया है, जब सरकार ने कड़े निर्णय लिए, जबकि पिछली यूपीए सरकार में इतनी हिम्मत नहीं थी कि इस तरह से काम करें।
- 2014 तक भारतीय अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब श्वेत पत्र द्वारा नकारात्मक माहौल सेट किया गया और इससे निवेशकों का विश्वास भी हिला था।
- मोदी सरकार के आर्थिक प्रबंधन ने भारत को निरंतर उच्च विकास के सटीक रास्ते पर ला खड़ा किया है।
- बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे महत्वपूर्ण और लचर विरासतों को प्रदर्शित करती है।
- सार्वजनिक वित्तीय स्थिति खराब थी, आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता थी और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार मौजूद था।
- वर्ष 2014 में केंद्र सरकार को गहरी क्षतिग्रस्त अर्थव्यवस्था विरासत में मिली, जिसकी नींव ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के लिए नई विकास यात्रा को सक्षम बनाना पड़ा।
- एनडीए सरकार के आर्थिक प्रबंधन और शासन के माध्यम से 2014 से पहले की हर चुनौती पर काबू पा लिया गया।
- समय की मांग है कि लोगों में आशा जगाई जाए, घरेलू और वैश्विक दोनों तरह के निवेश आकर्षित किए जाएं और बहुत जरूरी सुधारों के लिए समर्थन तैयार किया जाए।
- यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह विफल रही, इसके बजाय उसने ऐसी बाधाएं पैदा की, जिन्होंने अर्थव्यवस्था को पीछे ढकेल दिया।
- ऐसे कई घोटाले हुए, जिनसे सरकारी खजाने को भारी राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा हुआ।
- पिछले 10 सालों में एनडीए सरकार ने पिछली यूपीए सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया।
- हमारी सरकार ने पिछली सरकार के मुकाबले एक मजबूत आधारभूत रचना के निर्माण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने के लिए अधिक निवेश किया।
- ‘श्वेत पेपर’ में आगे कहा गया है कि अभी मीलों चलना है और पहाड़ों को पार करना है क्योंकि लक्ष्य ‘2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र’ बनाना है।
- मोदी सरकार ‘नेशन फर्स्ट’ में विश्वास करती है, न कि राजनीतिक लाभ कमाने में।
कांग्रेस के ‘ब्लैक पेपर‘ पर पीएम मोदी का तंज!
इस बीच ‘श्वेत पत्र’ के खिलाफ कांग्रेस की ओर से जारी किए गए ‘ब्लैक पेपर’ पर पीएम मोदी ने राज्यसभा में निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘काले कपड़ों में सदन को फैशन शो देखने का भी मौका मिला। कभी-कभी कुछ काम इतने अच्छे होते हैं, जो लंबे समय तक उपयोगी होते हैं। हमारे यहां कुछ अच्छी चीज कर लेते हैं तो परिवार में एक स्वजन ऐसा भी आ जाता है, जो कहता है कि अरे नजर लग जाएगी, काला टीका लगा देता हूं। आज पिछले 10 वर्षों में जो काम हुए हैं, उसको किसकी नजर ना लग जाए, इसलिए खड़गे जी काला टीका लगाकर आए हैं। आज हमारे कार्यों को नजर ना लग जाए, इसलिए आप जैसे वरिष्ठ सांसद काला टीका लगाकर आए हैं तो ये अच्छी बात है।’