नई दिल्ली, 23 सितम्बर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ अपने पहले मेगा ऑपरेशन में गिरफ्तार किए गए आरोपितों की रिमांड की मांग करते हुए दावा किया कि संगठन के पदाधिकारी, सदस्य और कैडर अन्य लोगों के साथ इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) जैसे प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने में शामिल थे।
गौरतलब है कि 24 घंटे पहले पीएफआई पर बड़े पैमाने पर काररवाई करते हुए, एनआईए के नेतृत्व में बहुएजेंसी टीमों ने देश में आतंकवादी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के लिए 15 राज्यों में लगभग एक साथ छापे में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के 106 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
संगठन कथित तौर पर भारत के खिलाफ असंतोष पैदा कर रहा
एनआईए ने केरल की कोच्चि की विशेष अदालत में छापेमारी के बाद और गिरफ्तारियों के कारण क्या हैं, इस पर अपनी रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि आरोपित ने धार्मिक दुश्मनी पैदा करने वाली गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने की साजिश रची। एजेंसी ने कहा कि संगठन कथित तौर पर भारत के खिलाफ असंतोष पैदा कर रहा है और एक वैकल्पिक न्याय वितरण प्रणाली का प्रचार कर रहा है।
आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देकर भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की साजिश
एनआईए के अनुसार पीएफआई कमजोर युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआईएस और अल-कायदा सहित आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसमें कहा गया है कि पीएफआई ने हिंसक जिहाद के हिस्से के रूप में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देकर भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की साजिश रची।
पीएफआई के कार्यालयों से कई आपत्तिजनक सामग्रियां भी जब्त
केंद्रीय जांच एजेंसी ने यह भी खुलासा किया कि गुरुवार को छापेमारी के दौरान, पीएफआई के कार्यालयों से कई आपत्तिजनक सामग्रियां जब्त की गई हैं। जब्त किए गए दस्तावेजों में एक विशेष समुदाय के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाने से संबंधित अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री भी शामिल है। एनआईए की चार्जशीट में 14 आरोपितों के नाम हैं, जिनमें पीएफआई मामले में मुख्य आरोपित भी शामिल है।