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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अवैध गंगा बालू खनन – एनजीटी ने जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की

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वाराणसी, 18 फरवरी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा नदी के उस पार नियम विरुद्ध अवैध बालू खनन को लेकर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से रिपोर्ट तलब की है।

एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच के कोर्ट नबर 2 में दायर ‘अवधेश दीक्षित बनाम भारत सरकार व अन्य’ मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस बृजेश सेठी और स्पेशल मेंबर पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर अफरोज अहमद ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यह आदेश जारी किया, जिसमें वाराणसी के डीएम से सभी आवश्यक दस्तावेज और रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।

पूरे मामले में स्थानीय प्रशासन की भूमिका संदिग्ध

याचिकाकर्ता डॉक्टर अवधेश दीक्षित की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी बेंच के सामने कहा कि स्थानीय प्रशासन की भूमिका पूरे मामले में संदिग्ध है। उनका कहना था कि बालू निकासी के ठेके वाराणसी जिला प्रशासन के द्वारा मनमाने तरीके से किए गए, जिसकी वजह से बालू माफिया ने रोजाना अवैध तरीके से हजारों टन बालू को उठाया और यह सब पर्यावरण के नियमों की अनदेखी करते हुए वाराणसी प्रशासन की मिलीभगत और सारे नियमों को ताख पर रखते हुए किया गया। गंगा में बालू के अवैध खनन से तट के साथ और पर्यावरण पारिस्थितिकी को भयंकर नुकसान पहुंचाया गया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि बीते साल 2021 में बरसात के पूर्व गंगा नदी में लगभग 12 करोड़ की लागत से नहर की खुदाई का कार्य पर्यावरणीय नियम-कानूनों के विरुद्ध किया गया। जब इस मामले में विवाद हुआ तो वाराणसी जिला प्रशासन ने आनन-फानन में नहर निर्माण से निकली बालू को निस्तारित करने के लिए एक जून, 2021 को टेंडर निकाल दिया। लेकिन टेंडर निकाले जाने के बाद गंगा में आई बाढ़ में न तो कथित नहर बची और न ही नहर की खुदाई से निकला बालू बचा।

इसके बावजूद वाराणसी के जिलाधिकारी द्वारा निकाले गए बालू टेंडर की आड़ में बगैर किसी अनुमति पत्र के गंगा में अवैध तरीके से बरसात में बह चुकी नहर के कथित ड्रेजिंग में निकले मैटेरियल को उठाने के नाम पर गंगा के पर्यावरण से छेड़छाड़ की गई। रेत माफिया ने प्रशासन की मिलीभगत से कई महीनों तक लगातार हजारों टन बालू की भयंकर लूट की और एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।