नई दिल्ली, 9 अक्टूबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने समाचार पोर्टल ‘न्यूजक्लिक’ के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और मानव संसाधन (एचआर) विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती की उस याचिका पर सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दोनों ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में अपनी गिरफ्तारी और पुलिस हिरासत को चुनौती दी थी।
पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की तरफ से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों की गिरफ्तारी और हिरासत को विभिन्न कानूनी आधार पर बरकरार नहीं रखा जा सकता है, जिसमें गिरफ्तारी के समय उन्हें गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया जाना और सुनवाई अदालत द्वारा उनके वकीलों की गैरमौजूदगी में यांत्रिक तरीके से उनका रिमांड आदेश पारित किया जाना शामिल है।
पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह कहते हुए याचिकाओं का विरोध किया कि मामला ‘गंभीर अपराधों’ से जुड़ा हुआ है और गिरफ्तारी ‘यूएपीए की लिखित आवश्यकताओं के अनुसार वैध’ थी। न्यायमूर्ति तुषार राव गडेला ने कहा, “दलीलें सुन ली गई हैं। फैसला सुरक्षित रखा जाता है।”
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। दोनों ने अपनी गिरफ्तारी और सात दिन की पुलिस हिरासत के आदेश को चुनौती देते हुए पिछले हफ्ते उच्च न्यायालय का रुख किया था और तथा अंतरिम राहत के रूप में तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया था। ‘न्यूजक्लिक’ पर चीन के समर्थन में दुष्प्रचार फैलाने के लिए पैसे लेने का आरोप है।
प्राथमिकी के मुताबिक, ‘भारत की संप्रभुता को बाधित करने’ और देश के खिलाफ असंतोष पैदा करने के लिए समाचार पोर्टल को चीन से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त हुआ था। इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि पुरकायस्थ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (पीएडीएस) नामक समूह के साथ साजिश रची थी। दिल्ली पुलिस ‘न्यूजक्लिक’ के दिल्ली स्थित दफ्तर को सील कर चुकी है।