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श्रीलंका : नवनिर्वाचित राष्ट्रपति दिसानायके आज भंग कर सकते हैं संसद, समय से पहले कराए जाएंगे संसदीय चुनाव

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कोलम्बो, 24 सितम्बर। श्रीलंका में 24 घंटे पहले ही राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले कम्युनिस्ट नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने आज रात तक श्रीलंकाई संसद भंग कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि दिसानायके संसद भंग करने के साथ निर्धारित समय से पहले दिसम्बर तक संसदीय चुनाव कराने की घोषणा कर सकते हैं।

कैबिनेट में 15 विभागों का बंटवारा किया जाएगा

श्रीलंका के प्रमुख समाचार पत्र ‘डेली मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री पद से दिनेश गुणवर्धने के इस्तीफे के बाद दिसानायके की पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के भरोसेमंद सूत्र ने कहा कि राष्ट्रपति आज अंतरिम कैबिनेट का गठन करेंगे। इसमें वह खुद और चार मंत्री होंगे। कैबिनेट में 15 विभागों का बंटवारा किया जाएगा।

NPP सांसद डॉ. हरिनी अमरसूर्या लेंगे प्रधानमंत्री पद की शपथ

राष्ट्रपति दिसानायके पर्यटन, रक्षा, वित्त, न्याय, उद्योग और निवेश संवर्धन विभागों को अपने पास रखेंगे। एनपीपी सांसद डॉ. हरिनी अमरसूर्या को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाएगी जबकि वरिष्ठ सांसद विजिता हेराथ और सांसद लक्ष्मण निपुण अराच्ची को कई विभागों के साथ मंत्री नियुक्त किया जाएगा। निपुण अराच्ची ने सोमवार को कोलंबो निर्वाचन क्षेत्र के सांसद के रूप में शपथ ली। यह सीट दिसानायके के राष्ट्रपति बनने से रिक्त हुई थी।

दिसानायके ने सोमवार को ली थी राष्ट्रपति के रूप में शपथ 

उल्लेखनीय है कि दिसानायके ने सोमवार सुबह राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इसके तुरंत बाद उन्होंने तीनों सेनाओं के कमांडरों और फिर अपने वरिष्ठ पार्टी सदस्यों से मुलाकात की। इसके बाद वह आशीर्वाद लेने के लिए अपनी वृद्ध मां से मिलने तंबुत्तेगामा गए।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति संसद को भंग करने के बाद संसदीय चुनाव की घोषणा करते हुए नामांकन की तिथि तय करेंगे। इस तिथि के बाद निर्वाचन आयोग नामांकन के लिए 10 से 17 दिनों का समय देगा। राष्ट्रपति दिसानायके संसदीय चुनाव के बाद नई संसद के गठन की तिथि की भी घोषणा कर सकते हैं।

ज्ञातव्य है कि श्रीलंका में 225 संसदीय सीटें हैं और इसके लिए पिछला चुनाव अगस्त, 2020 में हुआ था। इसी वर्ष देश में आर्थिक संकट आने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके परिणामस्वरूप गोटबाया राजपक्षे को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। उसके बाद यह पहला राष्ट्रपति चुनाव था।

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