नई दिल्ली, 12 मई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोविड-19 के नए वैरिएंट बी.1.167 की पहचान पिछले वर्ष अक्टूबर में पहली बार भारत में की गई थी और तब से यह 44 देशों में पाया जा चुका है, जो वैश्विक चिंता का विषय है। डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था अकसर आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं अथवा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है।
दरअसल संक्रण के चिंताजनक वैरिएंट वे होते हैं, जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था। किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा खतरनाक और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि बी.1.617 वैरिएंट में संक्रमण फैलने की दर अधिक है। प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस वैरिएंट में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलैनिविमैब की प्रभाव-क्षमता घट जाती है।
वैश्विक संस्था ने साथ ही भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ने और तेज होने में कई कारकों का योगदान होने की आशंका जताई है। इनमें सार्स-सीओवी-2 स्वरूपों के संभावित रूप से संक्रमण फैलाने, धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम, जन स्वास्थ्य एवं सामाजिक कदमों का पालन कम होना शामिल है।