नई दिल्ली, 11 सितम्बर। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस क्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने डीटीसी द्वारा 1,000 लो-फ्लोर बसों की खरीद में कथित भ्रष्टाचार की जांच के लिए
दिलचस्प यह है कि पिछले ही दिनों सीएम केजरीवाल ने एलजी से मुलाकात के बाद उम्मीद जाहिर की थी कि अब चीजें सामान्य हो जाएंगी। फिलहाल इस नए घटनाक्रम से दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव और बढ़ने के आसार हैं।
गौरतलब है कि गत जून माह में एलजी सक्सेना को बस खरीद संबोधित मिली एक शिकायत में दावा किया गया था कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) ने पूर्व नियोजित तरीके से परिवहन मंत्री को बसों की निविदा व खरीद के लिए गठित समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया।
बस खरीद में ‘आप‘ सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप
शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया था कि इस निविदा के लिए बोली प्रबंधन सलाहकार के रूप में डीआईएमटीएस की नियुक्ति गलत कामों को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से की गई थी। सूत्रों के अनुसार शिकायत में कहा गया कि 1,000 लो फ्लोर बीएस-4 और बीएस-6 बसों के लिए जुलाई, 2019 की खरीद बोली और मार्च 2020 में लो फ्लोर बीएस-6 बसों की खरीद व वार्षिक रखरखाव के अनुबंध के लिए लगाई गई दूसरी बोली में अनियमितताएं हुईं।
गत 22 जुलाई को शिकायत पर दिल्ली सरकार के विभागों की प्रतिक्रिया लेने के लिए मुख्य सचिव के पास भेजा गया। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव ने 19 अगस्त को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कुछ ‘अनियमितताओं’ की ओर इशारा किया गया था। इसके बाद सक्सेना ने शिकायत सीबीआई को भेज दी है।
आबकारी नीति की भी जांच कर रही सीबीआई
इससे पहले दिल्ली में हाल में वापस ली जा चुकी नई शराब नीति को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार पहले ही सवालों के घेरे में हैं। सीबीआई इस आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है और उसने अपनी प्राथमिकी में मनीष सिसोदिया को एक आरोपित के रूप में नामजद किया है।
भाजपा ने हाल ही में शराब घोटाले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भूमिका को कथित रूप से उजागर करने वाला एक स्टिंग टेप जारी किया था। हालांकि, सिसोदिया ने अपने खिलाफ सभी दावों का खंडन किया है।