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बिहार में नया पुलिसिंग फ्रेमवर्क लागू, अब छोटी चोरी-ठगी भी मानी जाएगी ‘संगठित अपराध’, DGP का बड़ा फैसला

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पटना, 25 नवंबर। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई एनडीए सरकार के गठन के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। सम्राट चौधरी के गृह मंत्री बनते ही बिहार के DGP विनय कुमार ने पूरे राज्य में एक नया पुलिसिंग फ्रेमवर्क लागू कर दिया है। इस मॉडल के तहत अब संगठित अपराध की परिभाषा को पहले से कहीं अधिक व्यापक कर दिया गया है।

DGP विनय कुमार ने साफ कहा है कि संगठित अपराध अब सिर्फ बड़े गैंग या हाई-प्रोफाइल गिरोह तक सीमित नहीं रहेगा। अब चोरी, स्नैचिंग / जेबकतरी, छोटी ठगी या धोखाधड़ी, अवैध टिकट बिक्री, जुआ-सट्टा, पेपर सेल रैकेट, इन सभी को “संगठित अपराध” के रूप में दर्ज किया जाएगा। पुलिस पहले जिन मामलों को मामूली अपराध बताकर कम प्राथमिकता देती थी, अब उन पर भी सख्त और नियमित निगरानी होगी।

पुलिस मुख्यालय के निर्देशों के अनुसार, यदि दो या अधिक लोग मिलकर किसी भी अपराध को बार-बार अंजाम देते हैं, तो वह सीधे “संगठित अपराध” की श्रेणी में आएगा। इसमें शामिल होंगे: अपहरण, लूट, वाहन चोरी, आर्थिक अपराध, साइबर फ्रॉड, जमीन कब्जा, मानव तस्करी, अवैध हथियार कारोबार, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग इस कदम का उद्देश्य अपराधी सिंडिकेट को शुरुआती स्तर पर ही तोड़ना है।

DGP ने कहा कि छोटे अपराधों में शामिल लोग आगे चलकर बड़े गैंग का हिस्सा बन जाते हैं। इसलिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के प्रावधानों के अनुसार, अब शुरुआत से ही ऐसे अपराधियों और उनके नेटवर्क पर निगरानी बढ़ाई जाएगी।

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