नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (पीटीआई)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की बैठक चार से छह अक्टूबर तक होने वाली है। व्यापक आर्थिक हालात पर सलाह-मशविरे के बाद एमपीसी मौद्रिक रुख या ब्याज दर पर फैसला लेगी। इसकी घोषणा छह अक्टूबर को की जाएगी।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आरबीआई आर्थिक विकास की रफ्तार को बनाए रखने के लिए उधार लेने की लागत को स्थिर रखते हुए ब्याज दरों पर रोक जारी रखेगा। अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने बताया कि, “इस आरबीआई मौद्रिक नीति बैठक में नीतिगत दरें पूरी तरह से वही रह सकती हैं यानी यथास्थिति हो सकती है। अगस्त में मुद्रास्फीति 6.83 प्रतिशत थी, जो आरबीआई के कंफर्ट जोन से बाहर थी यानी 4 प्लस/माइनस 2 प्रतिशत लेकिन ऐसे संकेत हैं कि मुद्रास्फीति कम हो जाएगी।”
रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर ही रखा है। इसे 6.25 प्रतिशत से बढ़ाया गया था। अप्रैल, जून और अगस्त में तीन द्वैमासिक नीति समीक्षाओं में बेंचमार्क दर बदली नहीं गई है। मुद्रास्फीति अब भी आरबीआई के दो से छह प्रतिशत के स्तर से ऊपर है। लेकिन अगस्त में मुद्रास्फीति में नरमी के संकेत हैं। इस वजह से आरबीआई दरों में बदवाल नहीं करने के लिए प्रेरित हो सकता है।
अर्थशास्त्री शरद कोहली कहा कि, “मुख्य मुद्रास्फीति खास तौर पर अनियमित मानसून और उच्च खाद्य कीमतों के कारण उच्च स्तर पर है, हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति अभी कम है, हेडलाइन मुद्रास्फीति चिंताजनक है। इसलिए मौद्रिक नीति समिति को लगता है या हो सकता है कि कम से कम अभी के लिए दरों में कमी न की जाए। जैसा कि वृद्धि के लिए, मुद्रास्फीति उतनी ज्यादा नहीं है क्योंकि वे मुद्रास्फीति को कम करने के लिए मौद्रिक नीति उपकरण के रूप में दरें बढ़ाने के लिए मजबूर हैं।”
एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य और आरबीआई के तीन अधिकारी शामिल हैं। गवर्नर दास के अलावा एमपीसी में आरबीआई के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और माइकल डिप्टी गवर्नर देबब्रत पात्रा शामिल हैं।