नई दिल्ली, 17 मार्च। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जलालत का सामना कर रही कांग्रेस की मुश्किलें केरल ने और बढ़ा दी हैं। राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर कांग्रेस जीतने की स्थिति में है और उसके लिए हाईकमान ने पार्टी के सचिव श्रीनिवासन कृष्णन को नॉमिनेट कर दिया है, जिससे केरल में असंतोष भड़क गया है।
श्रीनिवासन कृष्णन का नाम केरल कांग्रेस को मंजूर नहीं
कांग्रेस हाईकमान के इस निर्णय से नाराज राज्य इकाई के नेताओं ने साफ कह दिया है कि वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। राज्य कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि उनकी ओर से भेजे गए प्रस्ताव को महत्व दिया जाना चाहिए था। प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरण ने पार्टी लीडरशिप से कहा है कि उनकी इच्छा है कि किसी युवा नेता को मौका मिले।
राज्य इकाई ने एम. लिजु का नाम सुझाया था
उल्लेखनीय है कि केरल कांग्रेस की ओर से एम. लिजू का नाम सुझाया गया था, जो यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। फिलहाल उनके पास अलपुझा जिले के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी है। सुधाकरण ने कहा कि हाईकमान की ओर से शुक्रवार को यह फैसला लिया गया था। इस फैसले के खिलाफ के सुधाकरण की राय का राज्य के कई और नेता भी समर्थन कर रहे हैं। बीते सप्ताह ही राज्यसभा सीट पर दावे के लिए सीनियर लीडर केवी थॉमस ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। लेकिन स्टेट यूनिट का कहना था कि किसी युवा नेता को मौका मिलना चाहिए।
रॉबर्ट वाड्रा की कम्पनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का हिस्सा भी हैं कृष्णन
एक प्रस्ताव यह भी था कि किसी महिला नेता को उच्च सदन में भेजा जाए। इसकी वजह यह है कि केरल से बीते पांच दशकों में कोई महिला नेता राज्यसभा में नहीं रही है। लेकिन 58 वर्षीय श्रीनिवासन कृष्णन के प्रस्ताव को लेकर नेताओं में रोष है। कृष्णन को प्रियंका गांधी और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा का करीबी माना जाता है। केरल के त्रिशूर के रहने वाले कृष्णन तेलंगाना के प्रभारी हैं और रॉबर्ट वाड्रा के मालिकाना हक वाली कम्पनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का भी हिस्सा हैं।
सीनियर नेता बोले – शायद कांग्रेस गलतियों से नहीं सीखना चाहती
एक सीनियर नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘ऐसा लगता है कि पार्टी अब भी गलतियों से सीखना नहीं चाहती है। हम अब नॉमिनेशन की पॉलिटिक्स नहीं चलने देंगे। राज्य के किसी नेता को राज्यसभा में भेजना चाहिए। किसी भी नॉमिनेटेड नेता को यह मौका नहीं मिलना चाहिए।’
सीनियर लीडर के. मुरलीधरण ने तो इसके खिलाफ सोनिया गांधी को पत्र ही लिख दिया है। उन्होंने चिट्ठी में कहा कि ऐसे नेता को राज्यसभा में नहीं भेजना चाहिए, जो विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में हार चुका हो।