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नेपाल के पीएम ओली ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में लिपुलेख को लेकर जताई आपत्ति

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काठमांडू, 30 अगस्त। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने शनिवार को तियानजिन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की।

भारत व चीन के बीच लिपुलेख से व्यापार फिर शुरू करने पर हुई है सहमति

दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि बैठक के दौरान ओली ने भारत व चीन के बीच हाल ही में लिपुलेख से व्यापार फिर शुरू करने पर हुई सहमति पर आपत्ति जताई।

बयान में कहा गया, ‘भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रे से व्यापार पर हालिया हुई सहमति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री (केपी शर्मा ओली) ने कहा कि यह इलाका नेपाल का है और नेपाल सरकार इस पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराती है।’

लिपुलेख को लेकर भारत व नेपाल के बीच वर्षों से गतिरोध जारी

इससे पहले, भारत और चीन के बीच लिपुलेख के रास्ते व्यापार फिर शुरू करने पर सहमति बनने के एक दिन बाद गत 20 अगस्त को नेपाल ने कहा था कि यह इलाका उसका अभिन्न हिस्सा है और यह उसके आधिकारिक नक्शे में शामिल है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर कहा था कि ये दावे ‘अनुचित हैं और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।’

दोनों देश लिपुलेख पर अपना दावा करते रहे हैं

नेपाल के विदेश मंत्रालय का कहना है, ‘नेपाल सरकार स्पष्ट करना चाहती है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी नेपाल के अभिन्न हिस्से हैं। इन्हें नेपाल के नक्शे में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया है और यह बात संविधान में भी दर्ज है।’

वहीं भारत हमेशा कहता आया है कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा उसके क्षेत्र में आते हैं। लेकिन नेपाल में यह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। वर्ष 2020 में इसी मसले पर नेपाल में हिंसक प्रदर्शन हुए थे।

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