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नेपाल : के.पी. शर्मा ओली ने तीसरी बार संभाली पीएम की कुर्सी, बहुमत का आंकड़ा जुटाने में असफल रहा विपक्ष

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काठमांडू, 14 मई। नेपाल में राजनीतिक उठापटक के बीच सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के.पी. शर्मा ओली ने शुक्रवार को तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली, जिन्हें चार दिन पूर्व (10 मई) ही संसद में विश्वास मत गंवाने के कारण पीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शीतल निवास में आयोजित समारोह में ओली को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। दरअसल राष्ट्रपति ने गुरुवार की रात ही ओली को पीएम पद पर फिर से नियुक्त कर दिया था, जब विपक्षी पार्टियां नई सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा देने में विफल रहीं।

69 वर्षीय ओली बीते सोमवार को प्रतिनिधि सभा में अहम विश्वास मत हार गए थे। वह इसके पूर्व 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक और फिर 15 फरवरी, 2018 से 10 मई, 2021 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

सदन में ओली के विश्वास मत हार जाने के बाद राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों को बहुमत के साथ नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के लिहाज से गुरुवार रात नौ बजे तक का समय दिया था।

नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी दावेदारी रखने के लिए सदन में पर्याप्त मत मिलने की उम्मीद थी। उन्हें सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ का समर्थन प्राप्त था। लेकिन ओली के साथ अंतिम वक्त में बैठक करने के बाद माधव कुमार नेपाल के रुख बदलने पर देउबा का स्वप्न बिखर गया।

दरअसल, शेर बहादुर देउबा जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे। जेएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र यादव ने देउबा को समर्थन देने का आश्वासन दिया था, लेकिन पार्टी के एक और अध्यक्ष महंत ठाकुर ने इस विचार को खारिज कर दिया।

निचले सदन में नेपाली कांग्रेस के पास 61 और माओवाद (मध्य) के पास 49 सीटें हैं. यानी कि गठबंधन के पास कुल 110 सीटें हैं जबकि सरकार के गठन के लिए 136 मतों की जरूरत थी। सदन में जेएसपी की 32 सीटें हैं। यदि जेएसपी समर्थन दे देती तो देउबा को प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने का अवसर मिल जाता।

इस बीच माधव नेपाल के धड़े वाले 28 सांसदों ने ओली और माधव के बीच समझौता होने के बाद अपनी सदस्यता से इस्तीफा नहीं देने का निर्णय लिया है। ओली ने माधव समेत यूएमएल के चार नेताओं के खिलाफ कार्रवाई का फैसला वापस लेते हुए उनकी मांगें माने जाने का आश्वासन भी दिया है।

यदि यूएमएल के सांसद इस्तीफा दे देते तो प्रतिनिधि सभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 रह जाती, जो फिलहाल 271 है। ऐसे में सरकार बनाने के लिए केवल 122 मतों की दरकार होती, जिससे विपक्ष के लिए रास्‍ता आसान हो जाता।

ओली को अब 30 दिनों के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा, जिसमें विफल रहने पर संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत नई सरकार बनाने का प्रयास शुरू किया जाएगा। ओली की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूएमएल 121 सीटों के साथ 271 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी है। वर्तमान में सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है।