नई दिल्ली, 24 मई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के विपक्षी दलों के फैसले की आलोचना की है और उनके रुख को देश के लोकतांत्रिक लोकाचार व संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया है।
एनडीए में शामिल 14 दलों ने विपक्ष से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा
सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल 14 दलों के नेताओं ने बुधवार को जारी एक बयान में विपक्षी दलों से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और कहा कि यदि वे (विपक्षी दल) अपने रुख पर कायम रहते हैं तो भारत के लोग ‘हमारे लोकतंत्र और उसके चुने हुए प्रतिनिधियों के अपमान को’ माफ नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने दावा किया है कि 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराना बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू की उम्मीदवारी पर विपक्ष के विरोध को भी याद किया
सत्तारूढ़ गठबंधन ने मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में (राजग की ओर से) उम्मीदवार बनाये जाने पर विपक्षी दलों के विरोध को याद किया और कहा कि उनके प्रति प्रदर्शित किया गया ‘असम्मान’ राजनीतिक विमर्श में एक नया निम्न स्तर है। राजग के दलों ने बयान में कहा, ‘उनकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध न सिर्फ उनका, बल्कि हमारे राष्ट्र की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का घोर अपमान है।’
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में नड्डा, शिंदे व संगमा सहित अन्य दलों के नेता शामिल
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, शिवसेना नेता एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, एनपीपी नेता एवं मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा तथा नगालैंड के मुख्यमंत्री एवं एनडीपीपी नेता नेफ्यू रियो शामिल हैं। सिक्किम के मुख्यमंत्री एवं एसकेएम नेता प्रेम सिंह तमांग, हरियाणा के उप मुख्यमंत्री एवं जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नेता एवं केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस, रिपब्लिकन पार्टी के नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले और अपना दल (सोनेलाल) की नेता एवं केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी हस्ताक्षर करने वालों में शामिल हैं।
इसके पूर्व दिन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी सहित करीब 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है, तब नये संसद भवन का कोई महत्व नहीं रह जाता है।